Thursday, April 25, 2024
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अमेरिका अगर भारत से दोस्ती चाहता है तो उसे समझना चाहिए कि दोस्त को कमजोर न किया जाए: सीतारमण

वॉशिंगटन में भारतीय पत्रकारों के एक समूह से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय रिश्ते आगे बढ़ने के साथ-साथ मजबूत हुए हैं।

Vineet Kumar Singh Edited by: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: April 23, 2022 23:30 IST
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Image Source : TWITTER/@FINMININDIA Union Finance Minister Nirmala Sitharaman attends G20 Emerging Market Economies meeting in Washington D.C.

Highlights

  • यदि अमेरिका चाहता है कि भारत उसका दोस्त हो तो उसे समझना चाहिए कि दोस्त को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए: सीतारमण
  • सीतारमण ने कहा कि हम जहां स्थित हैं, उसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए किसी के पास कोई विकल्प नहीं हो सकता है।

वॉशिंगटन: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत भौगोलिक स्थिति को देखते हुए रूस जैसे मुद्दों पर ‘सधा हुआ रुख’ अपना रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि अमेरिका भारत के रूप में एक मित्र चाहता है तो उसे समझना चाहिए कि दोस्त को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। सीतारमण विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वार्षिक बैठकों में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका पहुंची थीं।

वॉशिंगटन में भारतीय पत्रकारों के एक समूह से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय रिश्ते आगे बढ़ने के साथ-साथ मजबूत हुए हैं और यूक्रेन युद्ध के बाद इसमें अधिक अवसर पैदा हुए हैं। अमेरिका दौरे पर वित्त मंत्री ने कई द्विपक्षीय बैठकें कीं और विभिन्न बहुपक्षीय बैठकों में हिस्सा लिया। उन्होंने बायडेन प्रशासन के कई शीर्ष अधिकारियों के साथ संवाद किया।

द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े एक सवाल पर सीतारमण ने कहा, ‘यह माना जा रहा है कि अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते आगे बढ़े हैं। ये और गहरे हुए हैं। इन पर कोई भी सवाल नहीं उठा रहा है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि रक्षा उपकरणों के लिए रूस पर पारंपरिक निर्भरता ही नहीं, बल्कि भारत के उससे कई दशक पुराने रिश्ते भी हैं। और यदि मैं थोड़े विश्वास के साथ कुछ कह सकती हूं तो यह एक सकारात्मक समझ है। यह एक नकारात्मक समझ नहीं है।’

सीतारमण ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अधिक से अधिक अवसर पैदा हो रहे हैं, बजाय इसके कि अमेरिका हमसे यह कहते हुए दूरी बना रहा है कि हम रूस पर सधा हुआ रुख अपना रहे हैं और ऐसा नहीं लगता है कि हम उसके करीब जा रहे हैं।’ वित्त मंत्री का यह बयान यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की सीधे तौर पर निंदा करने से भारत के इनकार और रूसी तेल की खरीद के नयी दिल्ली के फैसले को लेकर पश्चिमी देशों में बढ़ती बेचैनी के बीच आया है।

अमेरिका यह भी चाहता है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे बड़े रक्षा आपूर्तिकर्ता रूस पर निर्भरता बंद करे। सीतारमण के मुताबिक, अमेरिका के साथ भारत के संबंध प्रतिदिन सुधर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘यह मान्यता है कि एक दोस्त है, लेकिन उस दोस्त की भौगोलिक स्थिति को समझना होगा। और एक दोस्त को किसी भी वजह से कमजोर नहीं किया जा सकता है।’

वित्त मंत्री ने कहा, ‘हम जहां स्थित हैं, उसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए किसी के पास कोई विकल्प नहीं हो सकता है। कोविड के बावजूद उत्तरी सीमा पर तनाव है, पश्चिमी सीमा लगातार विषम परिस्थितियों में है और कभी-कभार यहां तक कि अफगानिस्तान में आतंकवादी वारदातों से निपटने के लिए दिए गए उपकरणों का इस्तेमाल हम पर हमले के लिए किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि भारत के पास अपनी भौगोलिक स्थिति बदलने का विकल्प नहीं है और भारत यकीनन अमेरिका के साथ दोस्ती चाहता है।

सीतारमण ने कहा, ‘लेकिन यदह अमेरिका भी एक मित्र चाहता है तो वह दोस्त कमजोर दोस्त नहीं हो सकता है, मित्र को कमजोर नहीं होना चाहिए। हम फैसले ले रहे हैं, हम अपनी बात रख रहे हैं, हम एक सधा हुआ रुख अपना रहे हैं, क्योंकि भौगोलिक स्थिति की वास्तविकताओं को देखते हुए हमें मजबूत होने की आवश्यकता है।’ (भाषा)

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