Saturday, April 27, 2024
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क्या अब खत्म हो गया Islamic State? सरगना Abu Ibrahim ने बीवी-बच्चों समेत खुद को बम से उड़ाया

यह पहली बार नहीं है जब अमेरिकी बलों ने आतंकवादी संगठनों के प्रमुखों को निशाना बनाया है और यह भी पहली बार नहीं है कि वह इस तरह की कार्रवाई में सफल हुए हैं।

Bhasha Reported by: Bhasha
Updated on: February 04, 2022 16:27 IST
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Image Source : AP सीरिया में अमेरिकी विशेष बलों द्वारा रात भर की गई छापेमारी में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के नेता की मौत हो गई।

Highlights

  • अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि विस्फोट में बच्चों समेत उसके परिवार के सदस्यों की भी मौत हो गई।
  • यह पहली बार नहीं है जब अमेरिकी बलों ने आतंकवादी संगठनों के प्रमुखों को निशाना बनाया है और सफल हुए हैं।
  • अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी, अमीर मुहम्मद सईद अब्दाल-रहमान अल-मावला द्वारा अपनाया गया उपनाम है।

हारोरो जे. इनग्राम, एंड्रयू माइंस, जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी और अमीरा जादून, यूनाइटेड स्टेट्स मिलिट्री एकेडमी वेस्ट प्वाइंट, वॉशिंगटन, (द कन्वरसेशन): सीरिया में अमेरिकी विशेष बलों द्वारा रात भर की गई छापेमारी में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के नेता की मौत हो गई। अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी ने देश के उत्तर-पश्चिमी इदलिब प्रांत में अपने परिसर में एक बम विस्फोट करके खुद को खत्म कर लिया। अमेरिकी अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विस्फोट में बच्चों समेत उसके परिवार के सदस्यों की भी मौत हो गई।

यह पहली बार नहीं है जब अमेरिकी बलों ने आतंकवादी संगठनों के प्रमुखों को निशाना बनाया है और यह भी पहली बार नहीं है कि वह इस तरह की कार्रवाई में सफल हुए हैं। द कन्वरसेशन ने अमेरिकी सैन्य अकादमी में आतंकवाद विशेषज्ञ अमीरा जादून और जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोग्राम ऑन एक्सट्रीमिज्म के रिसर्च फेलो, हारो जे. इनग्राम और एंड्रयू माइंस से यह समझाने के लिए कहा कि यह हमला अमेरिका की आतंकवाद विरोधी रणनीति पर कैसे फिट बैठता है, और इससे इस्लामिक स्टेट को कितना नुकसान हुआ है।

1. अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी कौन था?

अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी, अमीर मुहम्मद सईद अब्दाल-रहमान अल-मावला द्वारा अपनाया गया उपनाम है, जो 2019 में अमेरिकी छापे में अबू बक्र अल-बगदादी की मौत के बाद इस्लामिक स्टेट का नेता बना। उसका जन्म 1976 में उत्तरी इराक के मोसुल में हुआ था। लेकिन सितंबर 2020 तक अल-कुरैशी के बारे में बहुत कम जानकारी थी, जब यह पता चला कि उसे 2008 की शुरुआत में इराक में अमेरिकी सेना द्वारा हिरासत में लिया गया था और उससे पूछताछ की गई थी। उस अवधि से अवर्गीकृत सामरिक जांच रिपोर्ट बताती है कि अल-कुरैशी ने उच्च शिक्षा ग्रहण की थी और वह इस्लामिक स्टेट में एकाएक नेता के रूप में उभरा।

अल-कुरैशी के दावे के मुताबिक, वह 2007 में मोसुल यूनिवर्सिटी से कुरान की पढ़ाई में मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद समूह में शामिल हुआ था। शामिल होने के तुरंत बाद, अल-कुरैशी मोसुल में समूह का शरिया सलाहकार बन गया। यह संगठन का एक प्रमुख धार्मिक पद है। बाद में 2008 की शुरुआत में पकड़े जाने से पहले वह शहर का डिप्टी ‘वली’ या शैडो गवर्नर बन चुका था। पूछताछ रिपोर्टों से पता चलता है कि अल-कुरैशी ने इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक, उस समय संगठन को इसी नाम से जाना जाता था, के कम से कम 20 कथित सदस्यों के नामों का खुलासा किया।

उसका विश्वासघात ऐसे समय में आया जब समूह के सदस्यों को अमेरिकी और गठबंधन सेना द्वारा बड़ी संख्या में मारा या पकड़ा जा रहा था। अल-कुरैशी की रिहाई के बाद अगले दशक की उसकी गतिविधियों के बारे में अपेक्षाकृत कम जानकारी है। लेकिन उसने कथित तौर पर इस्लामिक स्टेट समूह के इराक के अल्पसंख्यक यज़ीदियों के नरसंहार के प्रयास की देखरेख की और कम से कम 2018 के बाद से अल-बगदादी के डिप्टी के रूप में कार्य किया। ‘खलीफा’ में उसका उदय जिहादी हलकों में विवादास्पद था, नेता बनने के बाद उसके पूछताछ रिकॉर्ड जारी होने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ा।

2. उसकी मृत्यु इस्लामिक स्टेट को सक्रिय रूप से क्या फर्क पड़ा?
अल-कुरैशी के खिलाफ अभियान ऐसे समय पर आया है, जब इस्लामिक स्टेट अनिश्चितता की स्थिति से गुजर रहा है। इसका इराक पर केंद्रित समूह से मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशिया में फैले सहयोगियों के साथ एक वैश्विक विद्रोही संगठन बनने का सफर अभी ज्यादा पुराना नहीं है। पूर्वोत्तर सीरिया में हसाका जेल और पूरे इराक में अन्य जगहों पर हाल ही में इस्लामिक स्टेट के हमलों ने संकेत दिया है कि यह समूह पारंपरिक ठिकानों पर अपनी क्षमताओं को फिर से खड़ा करने में शायद अपेक्षा से अधिक उन्नत है।

लेकिन अल-कुरैशी की उसके पूर्ववर्ती की मृत्यु के ठीक 2 साल बाद हुई मौत इस बात को लेकर अनिश्चितता पैदा करती है कि उसका उत्तराधिकारी कौन होगा। यह तथ्य कि इस्लामिक स्टेट समूह अपने शीर्ष नेता की रक्षा नहीं कर सका, यह दर्शाता है कि समूह अमेरिका और सहयोगी बलों के निरंतर दबाव का सामना कर रहा है। अल-कुरैशी का इतनी जल्दी मारा जाना, उनके पूर्ववर्ती ने लगभग एक दशक तक नेतृत्व किया, आंतरिक विवादों का भी संकेत देता है। नेता के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, अल-कुरैशी को आतंकवादी समूह के भीतर असंतुष्टों ने तो कोई महत्व ही नहीं दिया था, जबकि अन्य ने नेता के रूप में उसकी उपयुक्तता पर सवाल उठाया था, खासकर सितंबर 2020 में उसकी पूछताछ रिपोर्ट जारी होने के बाद।

अब, इस्लामिक स्टेट अपने वरिष्ठ नेतृत्व पैनल शूरा परिषद के विचार-विमर्श के आधार पर अल-कुरैशी के उत्तराधिकारी की नियुक्ति कर सकता है, जैसा कि उसने पहले किया है। यदि ऐसा होता है जैसा कि पहले भी होता रहा है, तो अल-कुरैशी के उत्तराधिकारी को अगले कुछ दिनों या हफ्तों में नियुक्त किया जा सकता है। उसकी पहचान छुपाने के लिए उसे एक उपनाम दिया जाएगा। इस्लामिक स्टेट के वैश्विक सहयोगियों के समूह के सदस्यों और नेताओं को उसके प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा करने के लिए कहा जाएगा, लेकिन वह महीनों या वर्षों तक या शायद कभी भी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आएगा।

3. अतीत में आतंकवादी समूहों के प्रमुखों को मारने का क्या प्रभाव पड़ा है?
नेतृत्व को खत्म करना, या आतंकवादी समूहों के शीर्ष नेताओं की लक्षित हत्या, आतंकवाद और प्रतिवाद का एक प्रमुख घटक है। यह अमेरिका सहित कई देशों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। लेकिन आतंकवाद विशेषज्ञ इस बात से सहमत नहीं हैं कि शीर्ष नेताओं को मारना कितना प्रभावी है। कुछ लोगों ने तर्क दिया है कि एक आतंकवादी नेता को मारने से समूहों की संचालन क्षमता बाधित होती है और उनकी संगठनात्मक दिनचर्या बाधित होती है, जिससे उनके लिए हमलों को अंजाम देना कठिन हो जाता है। यह तर्क दिया गया है कि यह संगठनात्मक पतन में भी योगदान दे सकता है।

शोध से पता चलता है कि सही परिस्थितियों में, शीर्ष नेताओं को निशाना बनाने से उग्रवादी समूह के हमलों की धार कुंद पड़ जाती है और उसकी गतिविधियों पर काबू पाने की संभावना बढ़ सकती है। हालांकि अन्य आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञ लक्षित हत्याओं से जुड़ी समस्याओं को उजागर करते हैं। उनका तर्क है कि वे समूह के विकेंद्रीकरण और लक्षित समूहों द्वारा अंधाधुंध हिंसा को बढ़ा सकते हैं। इस रणनीति को आम तौर पर इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे समूहों के खिलाफ कम प्रभावी माना जाता है जिनके पास अच्छी तरह से प्रबंधित नेतृत्व संरचनाएं और उत्तराधिकार प्रोटोकॉल हैं।

इस्लामिक स्टेट समूह अपने नेतृत्व के भीतर उत्तराधिकार के लिए नौकरशाही दृष्टिकोण के कारण कई मौतों के बावजूद अपना वजूद कायम रखने में कामयाब रहा है, और इसके अलावा उसे अभी भी मजबूत स्थानीय समर्थन प्राप्त है अल-कुरैशी की मौत से इस्लामिक स्टेट समूह को कुछ समय के लिए धक्का लगा लेकिन ऐसा होने की संभावना नहीं है कि इससे संगठन खत्म हो जाएगा। अल-कुरैशी की मौत संगठन के सदस्यों को वैश्विक जिहादी परिदृश्य में प्रासंगिक बने रहने के लिए प्रतिशोध के हमलों को भी बढ़ा सकती है।

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