Wednesday, April 24, 2024
Advertisement

कोरोना: कुछ ही घंटों में अनाथ हुए भाई-बहन, एकमात्र सहारा बची नानी की भी मौत

कोरोना के कारण दिल्ली के 2 छात्र महज कुछ ही घंटों में अनाथ हो गए। मासूम बच्चों की त्रासदी यहीं समाप्त नहीं हुई। माता पिता के बाद इन बच्चों का एकमात्र सहारा रही उनकी नानी भी कोरोना की इस लहर में चल बसी।

IANS Reported by: IANS
Published on: May 23, 2021 13:08 IST
कोरोना: कुछ ही घंटों...- India TV Hindi
Image Source : PTI (REPRESENTATIONAL IMAGE) कोरोना: कुछ ही घंटों में अनाथ हुए भाई-बहन, एकमात्र सहारा बची नानी की भी मौत

नई दिल्ली: कोरोना के कारण दिल्ली के 2 छात्र महज कुछ ही घंटों में अनाथ हो गए। मासूम बच्चों की त्रासदी यहीं समाप्त नहीं हुई। माता पिता के बाद इन बच्चों का एकमात्र सहारा रही उनकी नानी भी कोरोना की इस लहर में चल बसी। कोरोना की यह मार दिल्ली विश्वविद्यालय के समीप रहने वाले 12वीं कक्षा के छात्र सुयश और उनकी बहन प्रेरणा पर पड़ी है। सुयश के पिता एक पुलिस अधिकारी थे। कुछ वर्ष पहले ड्यूटी पर एक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। बच्चों की सारी जिम्मेदारी सुयश की मां शशि नेगी के कंधों थी। कोरोना की इस दूसरी लहर में शशि की भी मृत्यु हो गई। शशि के बाद बच्चों का एकमात्र सहारा उनकी नानी थी लेकिन पहले पिता फिर मां और उनके बाद नानी भी चल बसी। उनकी मृत्यु भी कोरोना से हो गई।

मौत से महज पांच दिन पहले तक 47 वर्षीय शशि नेगी नियमित रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित अपने कार्यालय जाती रही। सुयश दिल्ली के सेंट जेवियर स्कूल में 12वीं कक्षा का छात्र है। बहन प्रेरणा आईपी कॉलेज से बीएससी मैथ्स ऑनर्स कर रही है। सुयश ने बताया कि 15 तारीख को उनकी मां शशि और बहन प्रेरणा कोरोना पॉजिटिव हो गई। तीनों जन तिमारपुर स्थित अपने किराए के मकान में रह रहे थे। शुरूआती बुखार के बाद अचानक 47 वर्षीय शशि के स्वास्थ्य में अचानक तेजी से गिरावट आने लगी। हालत यह थी कि बच्चों के पास मां का ऑक्सीजन स्तर नापने के लिए ऑक्सीमीटर तक उपलब्ध नहीं था। बुधवार को रिश्तेदारों की मदद से ऑक्सीमीटर उपलब्ध हो सका।

हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सुयश के घर से 8 किलोमीटर दूर रहने वाले उनके चाचा रवींद्र नेगी ने बताया कि बुधवार दोपहर करीब 1 बजे बाथरूम से बाहर आने के बाद उनकी भाभी शशि बेहोश होकर गिर पड़ी। शशि को संत परमानंद अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां आवश्यक सुविधाओं की कमी के कारण उन्हें भर्ती नहीं किया जा सका। इसके बाद शशि नेगी को सिविल लाइन स्थित एक सरकारी अस्पताल में ले जाया गया। यहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने बताया कि रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो चुकी है।

सुयश और प्रेरणा का अब एकमात्र सहारा उनकी नानी थी जो उन्हीं के साथ रहा करती थीं। इससे पहले कि दोनों बच्चे नानी के गले लग कर अपना दर्द साझा कर पाते,कुछ ही घंटे बाद बुधवार रात को ही उनकी नानी रामेश्वरी देवी की भी कोरोना से मौत हो गई। सुयश की नानी भी होम आइसोलेशन में ही रह रही थी और घर पर ही उनकी मौत हो गई। सुयश ने बताया कि मां और नानी की अचानक मृत्यु के बाद उन्हें किराए का मकान भी खाली करना पड़ रहा है। फिलहाल दोनों भाई बहन अपने मामा के साथ रह रहे हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित डीटीए के प्रभारी हंसराज सुमन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि तुरंत प्रभाव से सुयश और प्रेरणा की पढ़ाई का पूरा खर्च दिल्ली विश्वविद्यालय वहन करें। इसके अलावा दोनों बच्चों की आर्थिक सहायता की जाए। साथ ही दोनों बच्चों में से किसी एक को दिल्ली विश्वविद्यालय में सरकारी नौकरी देने की भी मांग की गई है। दिल्ली विश्वविद्यालय पत्राचार के प्रिंसिपल डॉक्टर यूसी पांडे ने कहा कि शशि नेगी बेहद समर्पित और हार्ड वर्किंग कर्मचारी थीं। हम पीड़ित दोनों बच्चों का दर्द समझते हैं। दोनों बच्चों को आर्थिक सहायता के साथ-साथ उनके रोजगार की व्यवस्था को लेकर भी प्रशासन ने कार्रवाई करेगा

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें दिल्ली सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement