Thursday, December 12, 2024
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'नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में सरकारी स्कूलों का बुरा हाल', हाई कोर्ट ने लगाई शिक्षा सचिव को फटकार

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि जिन्होंने इन स्कूलों का दौरा किया उन्हें टूटे हुए डेस्क, कक्षा की कमी और किताबों की कमी जैसे विभिन्न मुद्दों को पाया।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : Apr 09, 2024 10:23 IST, Updated : Apr 09, 2024 10:26 IST
दिल्ली हाई कोर्ट - India TV Hindi
Image Source : FILE-PTI दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट इलाके के सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को लेकर हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग के सेक्रटरी को कड़ी फटकार लगाई है।  हाई कोर्ट ने कहा कि एक कक्षा में दो सेक्शन के बच्चे हैं और दो टीचर एक साथ पढ़ा रही हैं। एक तरह इतिहास तो दूसरी तरफ भूगोल पढ़ाया जा रहा है। कोर्ट ने सेक्रटरी को कहा कि आप बच्चों को शिक्षा न देकर उनका भविष्य खराब कर रहे हैं। सीनियर अधिकारी से ही प्रशासन चलता है। आपको जूनियर अधिकारियों पर एक्शन लेना होगा। 

क्लास में टूटी हुई है डेस्क-बेंच

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि आप खुद मान रहे हैं कि डेस्क टूटी हुई है। नए सेक्शन की किताबें बच्चों के पास नहीं है। हाई कोर्ट ने एजुकेशन के सेक्रटरी से कहा कि आप बताएं कि स्कूलों में बच्चों को किताबें कब तक मिल जाएंगी। इसके लिए आपको शपथ पत्र भी दाखिल करना होगा। अगर आप आदेश की अमल में नहीं लाएंगे तो हम आपको अवमानना का दोषी ठहराएंगे।

शिक्षा सचिव को लगाई फटकार

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि जिन्होंने इन स्कूलों का दौरा किया उन्हें टूटे हुए डेस्क, कक्षा की कमी और किताबों की कमी जैसे विभिन्न मुद्दों को पाया। पीठ ने टिप्पणी की कि अधिकारियों को सिर्फ अखबारों में प्रकाशन नहीं कराना है बल्कि कमियों को दूर करने के लिए जमीनी स्तर पर भी काम करना है। शिक्षा सचिव ने स्कूलों की हालत पर कहा कि समयबद्ध तरीके से स्थिति में व्यापक सुधार के लिए कदम उठाए जाएंगे।

हाई कोर्ट ने पूछा ये सवाल

कोर्ट ने कहा कि आप ये सब पता होना चाहिए था। मुझे आपको क्यों कॉल करना है? आपको स्वयं जमीनी स्तर पर जाना चाहिए। वह आपका काम है। आपका काम छोटे बच्चों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। आपसे यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि आप केवल समाचार पत्रों में घोषणाएं प्रकाशित करें। एक कक्षा में 144 बच्चे हैं। यह बहुत दुखद स्थिति है।

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