Wednesday, May 01, 2024
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क्यों मनाया जाता National Education Day, जानिए ये दिन कितना है खास

National Education Day पहले शिक्षा मंत्री के सम्मान में उनकी जंयती पर मनाया जाता है। आज ही के दिन, सऊदी अरब के मक्का में जन्मे थे अबुल कलाम 'आजाद', जिन्हें आमतौर पर मौलाना आज़ाद के नाम से जाना जाता है, भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे आजाद।

Shailendra Tiwari Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published on: November 11, 2022 16:31 IST
मौलाना अबुल कलाम आजाद- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV मौलाना अबुल कलाम आजाद

क्या आपको पता है कि National Education Day क्यों मनाया जाता है? किसके सम्मान में मनाया जाता है? अगर नहीं तो चिंता न करें हम आपको यहां यही जानकारी देने जा रहे हैं। ताकि आपसे अगर कोई इस टॉपिक के बारे में पूछे तो आप पहले से तैयार रहें और तपाक से उसको जवाब दे दें। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस यानी National Education Day  भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर उनके सम्मान हेतु मनाया जाता है। आज ही के दिन, 11 नवंबर 1888 को सऊदी अरब के मक्का में अबुल कलाम 'आजाद' का जन्म हुआ था। बता दें कि मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती हर साल 11 नवंबर को मनाई जाती है। मौलाना आज़ाद एक विद्वान और शिक्षाविद् होने के साथ-साथ आजाद भारत की शिक्षा प्रणाली के प्रमुख वास्तुकार थे। 

शिक्षा में योगदान

अबुल कलाम आजाद ने भारतीय शिक्षा को एक बेहतर आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और हायर एजुकेशन और साइंटिफिक रिसर्च की नींव रखी। उन्होंने 15 August 1947 से लेकर 2 February 1958 तक देश के एजुकेशन मिनिस्टर के रूप में अपनी सेवाएं दी। उनके कार्यकाल के दौरान, देश को टॉप एजुकेशन रेगुलरटी- ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) और यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) मिले। उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर जैसे शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में भी योगदान दिया।

पहली बार साल 2008 में मनाया गया National Education Day

ध्यान दें कि सितंबर, 2008 में केंद्र सरकार ने 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day) के रूप में घोषित किया और पहली बार ये उसी वर्ष 11 नवंबर को मनाया गया। तत्कालीन भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में समारोह का उद्घाटन भी किया था।

कई संस्थानों की स्थापना का श्रेय

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR), साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की स्थापना का भी श्रेय दिया जाता है। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने Adult Literacy,Universal Primary Education, 14 साल तक के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, Girl Child education और सेकेंडरी एजुकेशन और कामर्शियल ट्रेनिंग पर ज्यादा जोर दिया।

मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया

मौलाना आजाद अक्सर कहा करते थे कि स्कूल वो लैब है जो भविष्य के नागरिकों का निर्माण करते हैं। मौलाना आज़ाद को मरणोपरांत 1992 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। तो आयें हम सब मिलकर देश के पहले एजुकेशन मिनिस्टर के जंयती पर शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें नमन करते हैं और अपनी श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।

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