
मोगैम्बो खुश हुआ... और जा सिमरन जी ले अपनी जिंदगी... जैसे डॉयलॉग्स को अपनी बुलंद आवाज से यादगार बनाने वाले अमरीश पुरी भले ही इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन आज भी बॉलीवुड के सबसे खूंखार विलेन की लिस्ट में उनका नाम पहले नंबर पर ही लिया जाता है। अमरीश पुरी की आज 93वीं बर्थ एनिवर्सरी है। दिवंगत अभिनेता का जन्म 22 जून 1932 को पंजाब के नवां शहर (अब भगत सिंह नगर) में हुआ था। सालों तक बॉलीवुड पर राज करने वाले अमरीश पुरी ने 39 साल की उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रखा था और स्टारडम की सीढ़ी पर कदम रखने से पहले 10 साल का इंतजार किया। सालों एड़ियां घिसने के बाद उन्हें वह रोल मिला, जिसने उन्हें हिंदी सिनेमा का सबसे खूंखार विलेन बना दिया। आज उनके जन्मदिवस पर आपको उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं।
मराठी सिनेमा से की थी करियर की शुरुआत
अमरीश पुरी ने मराठी सिनेमा से अपने करियर की शुरुआत की थी। वह पहली बार 1967 में रिलीज हुई मराठी फिल्म 'शंततु! कोर्ट चालू आहे' में नजर आए थे। इस फिल्म में अमरीश पुरी ने एक अंधे का किरदार निभाया था, जो ट्रेन की बोगियों में गाना गाता रहता है। इस दौरान अमरीश पुरी 39 साल के थे। जी हां, उन्होंने 39 साल की उम्र में अपना एक्टिंग डेब्यू किया था।
भाई ने फिल्म देने से किया इनकार
अमरीश पुरी हीरो बनना चाहते थे। लेकिन, बार-बार मिल रहे रिजेक्शन के चलते उन्होंने घर चलाने के लिए इंश्योरेंस कंपनी में मामूली नौकरी पकड़ ली। उन्होंने अपने भाई से फिल्मों में काम मांगा तो उन्होंने ये कहते हुए काम दिलाने से साफ इनकार कर दिया कि उनका चेहरा हीरो जैसा नहीं है और आगे जाकर वह बॉलीवुड के सबसे ज्यादा फीस लेने वाले विलेन बने। उन्होंने मराठी, हिंदी ही नहीं हॉलीवुड फिल्मों में भी अभिनय की छाप छोड़ी। वह स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म 'इंडियाना जोंस' में मूला राम के किरदार में दिखाई दिए थे।
मोगैम्बो के लिए नहीं थे पहली पसंद
अमरीश पुरी के सबसे यादगार किरदारों की बात करें तो 'मिस्टर इंडिया' में निभाया 'मोगैम्बो' का किरदार भला कोई कैसे भूल सकता है। इस किरदार में वह हिटलर से कम नहीं लगे थे। हालांकि, ये बात और है कि अमरीश पुरी मोगैम्बो के किरदार के लिए पहली पसंद नहीं थे। उनसे पहले ये किरदार अनुपम खेर को ऑफर किया गया था। लेकिन, कुझ दिनों की शूटिंग के बाद शेखर कपूर ने अमरीश पुरी को ये रोल दे दिया। इस किरदार का ऑफर मिलने से अमरीश पुरी भी चौंक गए थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'एक्ट ऑफ लाइफ' में कहा था- 'जब शेखर कपूर ने मुझे ये रोल ऑफर किया, तब तक 60 फीसदी शूटिंग पूरी हो चुकी थी। मैं थोड़ा आशंकित था, क्योंकि आधे से ज्यादा फिल्म की शूटिंग हो चुीक थी। मेरे मन में ख्याल आया कि इन्हें अब जाकर मेरा ख्याल आया।'