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Fact Check: नगीना सांसद के समर्थकों की गिरफ्तारी का नहीं है ये वीडियो, जानें क्या है सच

सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा वीडियो कि प्रयागराज पुलिस ने करछना में हुई हिंसा के मद्देनजर नगीना सांसद के समर्थकों को गिरफ्तार किया है, पूरी तरह गलत है।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Jul 08, 2025 02:58 pm IST, Updated : Jul 08, 2025 03:00 pm IST
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Image Source : INDIA TV INDIA TV Fact Check

सोशल मीडिया पर आए दिन कोई न कोई वीडियो सर्कुलेट होता रहता है, जिसमें से कुछ सही होते हैं तो कुछ फर्जी होते हैं, जो किसी यूजर के जरिए निजी मकसद से शेयर किया गया है। ऐसा ही एक वीडियो तेजी से सर्कुलेट हो रहा है, जिसमें दावा किया गया कि यूपी पुलिस ने 29 जून को करछना में हुई हिंसा के बाद नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद के समर्थकों को गिरफ्तार किया है।

जानकारी दे दें कि कथित तौर पर यह हिंसा तब शुरू हुई जब आज़ाद के समर्थकों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्होंने उन्हें करछना में कथित तौर पर जलाकर मारे गए मृतक दलित के परिवार से मिलने से रोका, साथ ही पास के कौशाम्बी जिले में रेप पीड़िता के परिवार से मिलने से भी रोका। फिर कथित तौर पर भीड़ ने 2 घंटे से ज़्यादा समय तक हिंसा की। हालांकि फैक्ट चेक में पाया गया कि यह वीडियो प्रयागराज का नहीं बल्कि राजस्थान का है, जिसे गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

क्या किया गया दावा?

एक फेसबुक यूजर ने दावा किया कि प्रयागराज पुलिस द्वारा कुछ लोगों को ले जाया जा रहे थे, वह वीडियो में भी दिखाई पड़ रहा। यूजर ने साथ ही दावा किया कि यह वीडियो यूपी पुलिस के प्रयागराज दंगों के दौरान दंगा करने वाले नगीना सांसद के समर्थकों को गिरफ्तार करने का है। उसने कैप्शन में भी लिखा, "प्रयागराज में दंगा करने वाले चंद्रशेखर रावण के समर्थकों को योगी की यूपी पुलिस से वह इलाज मिल रहा है जिसके वे हकदार हैं।"

पड़ताल में क्या मिला?

वीडियो की पड़ताल शुरू की गई तो हमने इसके कई कीफ्रेम निकाले। फिर उसे गूगल लेंस पर सर्च किया तो हमें इससे जुड़े कई फोटो के साथ आर्टिकल, ट्वीट और वीडियो भी मिले। जिसमें दावा किया गया कि यह वीडियो राजस्थान का है न कि यूपी के प्रयागराग का। हमने राजस्थान के गंगानगर पुलिस के ट्वीट को भी देखा जिसमें उन्होंने अखबार की कटिंग शेयर की। जिसमें साफ तौर पर बताया गया कि गिरफ्तार आरोपी गैंगस्टर गोल्डी बरार के नाम पर वसूली करते थे। पुलिस ने आरोपियों को जाल बिछाकर गिरफ्ता किया है। इस तथ्य से मामला साफ हो गया कि यह वीडियो राजस्थान का है।

निष्कर्ष

हमारी पड़ताल में सामने आया कि सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा दावा झूठा है क्योंकि यह वीडियो 29 जून 2025 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए दंगों से संबंधित नहीं है। इसमें 5 जून 2025 को राजस्थान में एक व्यापारी को निशाना बनाते समय पकड़े गए लोगों को दिखाया गया है।

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