'एक दो तीन', 'हमको आज कल है इंतजार', 'धक-धक करने लगा', 'कांटे नहीं कटते दिन और रात', 'मार डाला' जैसे सुपरहिट गानों के पीछे जिस शख्स का हाथ हैं वो कोई और नहीं सरोज खान ही हैं। ये गाने भले ही कई साल पहले रिलीज हो चुके हों लेकिन जब भी ये गाना कहीं बजता है तो लोग गाने के वही स्टेप कॉपी करने की कोशिश करते हैं। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सरोज खान सिनेमाजगत की कितनी बड़ी शख्सियत हैं।
सरोज खान का असली नाम निर्मला नागपाल है। सरोज के पिता का नाम किशनचंद सद्धू सिंह और मां का नाम नोनी सद्धू सिंह है। विभाजन के बाद सरोज खान का परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया था।
सरोज ने फिल्मी करियर की शुरुआत महज 3 साल की उम्र में बतौर बाल कलाकर की थी। उनकी पहली फिल्म 'नजराना' थी जिसमें उन्होंने श्यामा नाम की बच्ची का किरदार निभाया था। इसके बाद 50 के दशक में सरोज खान बैकग्राउंड डांसर के तौर पर काम करने लगीं।
सरोज ने डांस की ट्रेनिंग बी सोहनलाल से ली थी। अपने इसी ट्रेनर बी सोहनलाल के साथ सरोज खान ने महज 13 साल की उम्र में शादी कर ली थी। सोहन लाल पहले से शादीशुदा था। दोनों की उम्र में बहुत ज्यादा फासला था।
सरोज खान ने अपनी शादी के बारे में बात करते हुए एक इंटरव्यू में कहा था- 'मैं उन दिनों स्कूल में पढ़ती थी। तभी एक दिन मेरे डांस मास्टर सोहनलाल ने गले में काला धागा बांध दिया था और मेरी शादी हो गई थी।'
साल 1983 में फिल्म 'हीरो' से कोरियोग्राफर के तौर पर काम शुरू किया था, पिछले साल रिलीज हुई फिल्म कलंक के गाने भी सरोज खान ने कोरियोग्राफ किये थे।
सरोज खान ने यूं तो बॉलीवुड के कई गाने कोरियोग्राफ किए हैं लेकिन माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी के कई गाने उन्होंने कोरियोग्राफ किये जो सुपरहिट रहे। जैसे 'तेजाब' का 'एक दो तीन...', 'बेटा' का 'धक धक करने लगा...', फिल्म 'मिस्टर इंडिया' का 'कांटे नहीं कटते ये दिन ये रात', 'चालबाज' का 'हवा हवाई'।
इनके अलावा चांदनी का 'मेरे हाथों में नौ नौ चूडियां हैं' और 'ओ मेरी चांदनी', 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' का 'मेहंदी लगाके रखना' और 'जरा सा झूम लूं मैं...' और फिल्म 'देवदास' का गाना 'मारा डाला...'। ऐसे अनगिनत गानों को सरोज खान ने अपनी खूबसूरत कोरियोग्राफी से संवारा है।
सरोज खान ने बॉलीवुड की 200 से ज़्यादा फिल्मों में काम किया था। उनकी आखिरी फ़िल्म कलंक (2019) थी।
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