एक वक्त था जब बच्चों को सुलाने के लिए मां-दादी-नानी कहानी सुनाती थी और वो कहानियां बच्चों को बहुत कुछ सिखाती थी। भूख प्यास भुला देती थी। यही बच्चों के लिए ज़िंदगी भर की ना भूलने वाली खूबसूरत याद होती थी लेकिन अब ये ज़िम्मेदारी सोशल मीडिया निभा रहा है। वैसे भी आजकल के पेरेंट्स के पास तो वक्तही नहीं है इसलिए मोबाइल पर वीडियो लगाकर छोड़ देते हैं और अपने दूसरे कामों में लग जाते हैं। फिर बच्चे मोबाइल से ऐसे चिपकते है कि खाना खिलाना हो या उन्हें चुप कराना हो हर काम के लिए हाथ में मोबाइल पकड़ा दिया जाता है जिसमें वो गेम खेलने लगते हैं कार्टून्स-रील्स देखते हैं और माता-पिता सोचते हैं कि वो बच्चों को हाइटेक बना रहे हैं। आजकल के ऐसे पेरेंट्स को अलर्ट करने के लिए लेटेस्ट रिसर्च आई है। फाइंडिग्स बताती हैं कि सोशल मीडिया पर वीडियो देखने से 91% बच्चे आक्रामक हो गए हैं। 84% बच्चे मोबाइल देखकर ही खाना खाते हैं 46% बच्चों को कम सुनाई देने लगा है 78% दूसरों से घुलते मिलते नहीं हैं उनका बिहेवियर चिड़चिड़ा सा रहता है।
मोबाइल एडिक्शन सिर्फ स्क्रीन तक सीमित नहीं है। ये बचपन और सोशल स्किल्स दोनों को ही बर्बाद कर रही है। इसके लिए पेरेंट्स भी जाने-अनजाने ज़्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि स्टडी बताती है कि 95% माता-पिता बच्चों के स्क्रीन टाइम को कंट्रोल ही नहीं कर पाते। 87% पेरेंट्स खुद बच्चों की ज़िद पूरी कर रहे हैं क्योंकि वो भी तो पूरा दिन सेलफोन पर ही रहते हैं इसलिए बच्चों के साथ बैठकर पढ़ना-पढ़ाना तक उन्हें बोरिंग लगता है। नतीजा, बच्चे किताबों से दूर हो रहे हैं। मोबाइल-लैपटॉप पर पढ़ रहे हैं और पढ़ते पढ़ते इधर-उधर साइट्स पर सर्फिंग करने लगते हैं। रील्स देखने लग जाते हैं इससे पढ़ाई तो डिस्टर्ब होती ही है तमाम बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। असल मे ऑनलाइन हुई इस दुनिया के जितने फायदे हैं उतने ही नुकसान भी हैं। डिजिटल डिटॉक्स और डिसिप्लिन ज़रूरी है ताकि टेकनोलॉजी हमारी साथी बने ना कि बर्बादी बने और ये तालमेल कैसे बिठाएंगे ये स्वामी रामदेव बताएंगे
सोशल मीडिया का ज़्यादा इस्तेमाल - होंगी ये समस्याएं
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घबराहट
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अकेलापन
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अनिद्रा
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डिप्रेशन
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हकीकत से दूरी
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डिजिटल एडिक्शन
मोबाइल-लैपटॉप के लगातार इस्तेमाल से होंगे ये सिंड्रोम
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बीमारी की गिरफ्त में 14 से 24 साल के युवा
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पिछले एक साल में 15 से 20% मामले बढ़े
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युवा 24 घंटे में से 5-6 घंटे सेलफोन पर रहते हैं
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MNC's वाले 8 घंटे लैपटॉप,5-6 घंटे मोबाइल पर
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20% पढ़ाई करने वाले मोबाइल पर रहते हैं
मोबाइल एडिक्शन से बढ़ती हैं ये बीमारियां
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मोटापा
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डायबिटीज
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हार्ट प्रॉब्लम
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नर्वस प्रॉब्लम
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स्पीच प्रॉब्लम
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नजर कमजोर
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हियरिंग प्रॉब्लम
स्मार्टफोन विजन - सिंड्रोम
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नजर कमजोर - ड्राईनेस
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पलकों में सूजन - रेडनेस
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तेज रोशनी से दिक्कत
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एकटक देखने की आदत
फोन का मिसयूज - पेरेंट्स कन्फ्यूज
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बच्चों के फोन यूज से
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अंजान माता पिता
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90% नहीं देते बच्चों पर ध्यान