नई दिल्ली. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि संक्रमण की पुष्टि वाले व्यक्ति को अलग-थलग रखे जाने और उसके संपर्क में आये लोगों की 28 दिन तक निगरानी करने के बाद कम से कम चार सप्ताह तक किसी पृथक जोन से अगर कोरोना वायरस का कोई पुष्ट मामला सामने नहीं आता है तो निषिद्ध क्षेत्र के लिए चलाये जाने वाले अभियान को सीमित कर दिया जायेगा।
मंत्रालय की ‘‘कोविड-19 के लिए अद्यतन रोकथाम योजना’’ के अनुसार निषिद्ध अभियान (जहां संक्रमण के अधिक मामले हैं) को जोन में अंतिम मामला निगेटिव आने की तिथि से 28 दिन तक माना जाता है। इसमें कहा गया है कि जहां संक्रमण के अधिक मामले आये है, उनके लिए निगरानी का बंद होना, एक अन्य क्षेत्र से भिन्न हो सकता है यदि इन क्षेत्रों के बीच कोई भौगोलिक निरंतरता नहीं हो।
हालांकि गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के लिए निगरानी जारी रहेगी। इसमें कहा गया है कि राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन क्षेत्रों में इस महामारी से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जाये और संक्रमण की इस चेन को तोड़ा जाये। देश में महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और राजस्थान से बड़ी संख्या में मामले सामने आये है। केन्द्र ने 170 जिलों को हॉटस्पॉट घोषित किया है । इसके अलावा 207 जिलों की पहचान गैर-हॉटस्पॉट जिलों के रूप में की है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के दस्तावेज के अनुसार अधिकारी निषिद्ध क्षेत्र में सक्रिय मामलों का पता लगायेंगे और सभी संदिग्ध मामलों तथा जोखिम वाले संपर्कों की जांच करेंगे, सभी संदिग्ध या पुष्ट मामलों को अलग करेंगे और सामाजिक दूरी को बनाये रखने संबंधी कदमों को लागू करेंगे। मंत्रालय ने कहा, ‘‘निषिद्ध क्षेत्र के लिए चलाये जाने वाले अभियान का उद्देश्य संक्रमण की चेन को तोड़ना है ताकि कोरोना वायरस के कारण प्रभावित होने वाले मरीजों की संख्या और मृत्युदर को कम किया जा सके।’’