Saturday, April 27, 2024
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Tractor Rally हिंसा: हाईकोर्ट ने हिरासत में लिए गए लोगों को रिहाई की मांग वाली याचिका खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें 26 जनवरी वाले दिन किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के दौरान और उसके बाद हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई की मांग की गई थी।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 02, 2021 13:07 IST
Delhi High Court dismisses PIL seeking release of all persons in police detention after Kisan Tracto- India TV Hindi
Image Source : PTI Delhi High Court dismisses PIL seeking release of all persons in police detention after Kisan Tractor Rally

नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें 26 जनवरी वाले दिन किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के दौरान और उसके बाद हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई की मांग की गई थी। इस याचिका में न सिर्फ किसान बल्कि उन सभी लोगों की रिहाई की मांग की गई, जिन्हें पुलिस ने सिंघू, टिकरी या गाजीपुर बॉर्डर के आसपास से अवैध रूप से हिरासत में लिया है।

किसान संगठन बोले- हमारे लोगों को रिहा करेग सरकार

गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद भी सरकार और किसान संगठनों ने बातचीत को लेकर रजामंदी जताई है, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ किया है कि अगर पुलिस और प्रशासन तुरंत किसानों का उत्पीड़न नहीं रोकेगा तो सरकार के साथ औपचारिक बातचीत नहीं की जा सकती। संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार की बैठक के बाद बयान जारी कर कहा कि सयुंक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने फैसला किया है कि जब तक पुलिस और प्रशासन द्वारा किसानों के आंदोलन के खिलाफ विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न को तुरंत नहीं रोका जाता है, तब तक सरकार के साथ कोई औपचारिक बातचीत नहीं हो सकती है।

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संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार विभिन्न राज्यों में चल रहे विरोध की बढ़ती ताकत से बेहद भयभीत है। SKM ने प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी और किसानों के वाहनों को जब्त करने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि सैकड़ों लोगों के लापता होने की सूचना है और यह हमारे लिए बहुत चिंता का विषय है।  यह सुनिश्चित करने के लिए कि अधिक लोग शामिल न हों, मोर्चा के समन्वित कामकाज में परेशानी हो, हिंसा की छवियां पेश हो ताकि आम लोग इस आंदोलन से दूर रहें और मनगढ़ंत आरोपों और गिरफ्तारी के माध्यम से प्रदर्शनकारियों पर नकेल कस सके। वहीं असल अपराधी बिना किसी गिरफ्तारी या कठोर कार्रवाई के बाहर है, जो यह साबित करता है कि सरकार किसानों के आंदोलन को खत्म करना चाहती है।

 

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