नई दिल्ली. संसद टीवी को दिए इंटरव्यू में जब अमित शाह से पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिद करके जोखिम लेते हैं तो उन्होंने कहा कि इसपर पूरी तरह सहमत नहीं है। जिद करके कहना सही नहीं होगा, वो जोखिम लेकर फैसले करते हैं। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री का मानना है और कहना है कि हम देश बदलने के लिए सरकार में आए हैं, सरकार चलाने के लिए सरकार में नहीं आए हैं। हमारा लक्ष्य देश में परिवर्तन लाना है। 130 करोड़ की जनता को विश्व में सम्मानजनक स्थान पर पहुंचाना है। जो फैसले आज हो रहे हैं, वो अगर पहले हो गए होते युवा पश्चिम की तरफ न जाता। उनका एक मात्र लक्ष्य है- भारत प्रथम, इसमें में से दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति का निर्माण होता है।
उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में पीएम मोदी के फैसले देखिए। नोटबंदी का इतना बड़ा फैसला पीएम मोदी ने लिया, कोई और ले ही नहीं पाता। इससे देश के अर्थतंत्र के माहौल में बहुत बड़ा परिवर्तन आया। इसी प्रकार से जीएसटी- सब इसपर बोलते तो थे लेकिन हिम्मत किसी की नहीं बनती थी। उन्होंने कहा कि तीन तलाक पर फैसला किसी में हिम्मत नहीं थी, वन रैंक-वन पेंशन , सर्जिकल स्ट्राइक का सवाल पैदा ही नहीं होता था। धारा 370, 35ए, इसी तरह हमारी संस्कृति को दुनिया तक पहुंचा, UN ने योग दिवस को स्वीकार किया। ये बहुत बड़ी बात है।
अमित शाह ने कहा कि पेरिस समझौता, इंटरनेशनल सोलर एलायंस, नई शिक्षा नीति- ये मजबूत इच्छा शक्ति वाला प्रधानमंत्री ही कर सकता है। उनका लक्ष्य देश के लिए सरकार चलाना है, देश के गरीब लोगों के लिए सरकार चलाना है। गृहमंत्री से जब पूछा गया कि ये विश्वास कहा से आता है कि देश की जनता कड़ा फैसला स्वीकार करेगी तो अमित शाह ने कहा कि ये विश्वास इसलिए आता है क्योंकि इसमें कोई निजी स्वार्थ नहीं है। न दलगत स्वार्थ है औऱ न ही व्यक्तिगत स्वार्थ है। स्वार्थ होने पर विश्वास की कमी होती है, लेकिन जब आप शुद्ध रूप से जनता के हित में सोचते हो तो विश्वास अपने आप ही बनता है।