Thursday, April 25, 2024
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मुसलमानों में शिक्षा की अलख जगा रहे PM मोदी के करीबी जफर सरेशवाला

मुस्लिम समाज में शिक्षा, बैंकिंग और स्टॉक मार्केटिंग के प्रति जागरूकता की अलख जगा रहे हैं मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के एक्स-चांसलर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी जफर सरेशवाला।

IANS Reported by: IANS
Published on: January 10, 2021 13:24 IST
मुसलमानों में शिक्षा...- India TV Hindi
Image Source : IANS मुसलमानों में शिक्षा की अलख जगा रहे PM मोदी के करीबी जफर सरेशवाला

नई दिल्ली: मुस्लिम समाज में शिक्षा, बैंकिंग और स्टॉक मार्केटिंग के प्रति जागरूकता की अलख जगा रहे हैं मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के एक्स-चांसलर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी जफर सरेशवाला। गुजरात के नामी कारोबारी सरेशवाला का मानना है कि मुल्क की तरक्की के लिए स्टॉक मार्केट में भागीदारी की बेहद जरूरत है, लेकिन भारत में पढ़े-लिखे युवा और महिलाएं अभी इससे काफी दूर हैं। सरेशवाला के अनुसार, मुसलमानों के मुद्दे उठाने के लिए एक ग्रुप होना चाहिए। मुसलमानों के पास राजनीती में अब कोई जगह नहीं है। कौम की परेशानियों को उठाने वाले अब न के बराबर है।

हालांकि सरेशवाला के परिवार का सियासत की गलियों से कभी दूर दूर तक ताल्लुक नहीं रहा। पुश्तैनी कारोबार होने के कारण कभी इन गलियों को देखना ही नहीं पड़ा। उनके परिवार में उस वक्त के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पहले व्यक्ति थे जिनसे सरेशवाला काफी करीबी रहे और उन्होंने मुस्लिम समाज और सरकार के बीच एक पुल का काम किया।

फिलहाल सरेशवाला तालीम-ओ-तरबियत नाम से एक अभियान चला रहे हैं जिसका मकसद है मुस्लिम समाज को तालीम देना, उसे व्यापार के हर क्षेत्र में काबिल बनाना ताकि वो अपनी योग्यता के बल पर जिंदगी में मुकाम हासिल कर सके। जफर सरेशवाला ने कहा, कोई भी समाज बिना शिक्षा के तरक्की नहीं कर सकता। हमने 'तालीम ओ तरबियत' नाम से एक मूवमेंट शुरू की। हम 47 शहरों में कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं। हाल ही में हमने अयोध्या में किया जो काफी अच्छा रहा।

उन्होंने बताया, मुसलमान सियासी मैदान में नहीं है, बीते 20-25 सालों से वो और कम हो गया है। मुसलमानों को अगर योग्य बनना है तो उसका एक ही रास्ता है 'तालीम'। तालीम के नाम पर हमारी पहचान हो, जिस मैदान में आप काम कर रहे हैं उसको लेकर तालीम लें और ईमानदारी से काम करें। इसके अलावा अन्य कौशल जैसे वित्तीय साक्षरता स्टॉक मार्केट, इन्वेस्टमेंट आदि इन सब को लेकर हम जागरूक कर रहे हैं।

तालीम ओ तरबियत के प्रोग्राम के माध्यम से लोगों को इसकी जानकारी दी जाएगी, ताकि स्वरोजगार के अवसर तलाश सकें, जो घर बैठे अपने हुनर और कारोबार को आगे ले जाना चाहते हैं। उन्होंने इस काम के लिए मुम्बई स्टॉक एक्सेंज को भी अपने साथ जोड़ा है। तालीम-ओ-तरबियत के जरिए हम उन्हें काबिल बनाना चाहते हैं। न सिर्फ तालीम बल्कि उन्हें वित्तीय साक्षरता से भी जोड़ना सबसे बड़ा मकसद है। हमारे समाज में बहुत अच्छे डॉक्टर, इंजीनियर या वैज्ञानिक हैं। लेकिन हमारा पढ़ा लिखा तबका फाइनेंशियली गवार हैं।

इस मूवमेंट के जरिए, मेरा मकसद है कि मुस्लिम बच्चों में एक आग पैदा करना, ताकि बच्चे भी कहें मैं भी कर सकता हूं। कारोबार सिर्फ अंबानी, अडानी या मैं नहीं कर सकता, हर कोई कर सकता है। सरेशवाला मानते है कि मुसलमानों में सैंकड़ों खूबियां है लेकिन तालीम नहीं है। इस वजह से वे सब वहीं के वहीं रह जाते है। वहीं तालीम की बुनियाद पर काबिलियत आ गई तो भविष्य में मुस्लिम बहुत मजबूत हो जाएगा।

दरअसल सरेशवाला ने इस अभियान को बहुत छोटे पैमाने पर शुरू किया था जिसका असर धीरे धीरे दिख भी रहा है। हालांकि सरेशवाला का कहना है कि भविष्य में इससे मुसलमान मजबूत होगा।

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