Sunday, April 28, 2024
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छत्तीसगढ़ में गोबर से बनेगी बिजली, गांधी जयंती पर CM बघेल ने किया एतिहासिक परियोजना का शुभारंभ

गांधी जी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम और बढ़ते हुए आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐतिहासिक परियोजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ग्रीन एनर्जी के उत्पादन में गांव वालों, महिलाओं, युवाओं की भागीदारी होगी। 

Sanjay Sah Reported by: Sanjay Sah @sanjaysah_india
Published on: October 02, 2021 17:36 IST
भूपेश बघेल, सीएम, छत्तीसगढ़- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV भूपेश बघेल, सीएम, छत्तीसगढ़

नई दिल्ली: गोधन न्याय योजना के बाद छत्तीसगढ़ में अब गोबर से बिजली बनाने की तैयारी की जा रही है। बापू के 'ग्राम स्वराज' के सपने को छत्तीसगढ़ सरकार साकार कर रही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने कहा- अब छत्तीसगढ़ का साधारण गांव वाला भी बिजली बेचेगा। 2 रुपए किलो में गोबर खरीदी करने के बाद आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ में अब गोबर से बिजली बनेगी। गांधी जी के ग्राम स्वराज के सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम और बढ़ते हुए आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐतिहासिक परियोजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ग्रीन एनर्जी के उत्पादन में गांव वालों, महिलाओं, युवाओं की भागीदारी होगी। उन्होंने कहा कि दुनिया ग्लोबल वॉर्मिंग से चिंतित है। हर जगह ग्रीन एनर्जी की बात हो रही है, इसलिए सरकार ने गोबर से बिजली बनाने का फैसला किया है।

छत्तीसगढ़ के हर गांव में पशुओं को रखने वाली जगह 'गोठानों' में गोबर से बिजली बनाने की यूनिट लगाई जाएगी। बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना के तहत किसानों से खरीदे गए गोबर का इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए किया जाएगा। इससे ना सिर्फ पर्यावरण को फायदा होगा बल्कि गोबर खरीद कार्य करने वाली स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज गांधी जयंती के दिन छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला मुख्यालय में आयोजित किसान सम्मेलन में गोबर से बिजली उत्पादन की महत्वाकांक्षी और ऐतिहासिक परियोजना के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे।

जानिए क्या है गोबर से बिजली की योजना?

सुराजी गांव योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 6 हजार गांवों में गौठानों का निर्माण कराकर उन्हें रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित किया गया है, यहां गोधन न्याय योजना के तहत दो रूपए किलो में गोबर की खरीदी कर बड़े पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन एवं अन्य आयमूलक गतिविधियां समूह की महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की भी शुरुआत 2 अक्टूबर से की जा रही है। इसके लिए प्रथम चरण में बेमेतरा जिले के राखी, दुर्ग के सिकोला और रायपुर जिले के बनचरौदा में गोबर से बिजली उत्पादन की यूनिट लगाई गई है। 

कौन सी तकनीक का होगा इस्तेमाल?

गोबर से विद्युत उत्पादन के लिए गौठानों में बायो गैस प्लांट, स्क्रबर एवं जेनसेट स्थापित किए गए हैं। बायो गैस टांके में गोबर एवं पानी डालकर बायोगैस तैयार की जाएगी, इससे 50 फीसद मात्रा में मीथेन गैस उपलब्ध होगी, जिससे जेनसेट को चलाकर विद्युत उत्पन्न की जाएगी। 

योजना से कई तरह के होंगे फायदे

छत्तीसगढ़ में उद्योग लगेगा, जिससे सीधे तौर पर युवाओं को रोजगार मिलेगा और किसानों को फसल का उचित दाम भी मिलेगा। गोबर से गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन एवं विक्रय किया जा चुका है। जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है। वैज्ञानिक बताते हैं कि गोबर से उत्पन्न विद्युत की प्रति यूनिट लागत 2.50 से 3 रूपये तक आती है। यहां यह उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। जिसमें से 6112 गौठान पूर्ण रूप से निर्मित एवं संचालित है।  गोबर से रेन्यूएबल एनर्जी का उत्पादन होगा, जिसकी मार्केट वैल्यू 8 से 10 रूपया प्रति यूनिट होगी। जिसका सीधा लाभ उत्पादक समूहों को होगा।

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