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प्रदूषण की वजह नहीं बल्कि कमाई का जरिया बनी पराली, सीजन में 50 लाख का फायदा

हरियाणा के कैथल में रहने वाले रामकुमार ने बताया कि मैंने सरकार की मदद से 2018 में 3 मशीन खरीदी। अब कृषि विभाग की मदद से 12 मशीन खरीदी और 300 लोगों को रोज़गार दिया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : Nov 18, 2021 08:22 pm IST, Updated : Nov 18, 2021 08:22 pm IST
प्रदूषण की वजह नहीं बल्कि कमाई का जरिया बनी पराली, सीजन में 50 लाख का फायदा- India TV Hindi
Image Source : ANI प्रदूषण की वजह नहीं बल्कि कमाई का जरिया बनी पराली, सीजन में 50 लाख का फायदा

Highlights

  • हरियाणा के कैथल में रहने वाले रामकुमार ने पराली की समस्या को अवसर में बदला।
  • पराली की समस्या को प्रॉफिट में बदला, 50 लाख तक की कमाई।
  • कृषि विभाग की मदद से 12 मशीन खरीदी और 300 लोगों को रोजगार दिया।

नई दिल्ली: पराली जलाने की समस्या से जूझ रहे धुएं के गुब्बार को लेकर एक किसान ने अनोखा रास्ता निकाला है। इन दिनों दिल्ली-एनसीआर में पराली जलाने से वायु प्रदूषण में भारी बढोत्तरी हुई है जिसके बाद से सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लिया और दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब को बैठक कर इससे निपटने की सलाह दी है। इसे लेकर कैथल में एक किसान मशीन का इस्तेमाल कर पराली को काटकर उन्हें इकट्ठा कर रहा है।

हरियाणा के कैथल में रहने वाले रामकुमार ने बताया कि मैंने सरकार की मदद से 2018 में 3 मशीन खरीदी। अब कृषि विभाग की मदद से 12 मशीन खरीदी और 300 लोगों को रोज़गार दिया। यह मुश्किल काम नहीं है, कृषि विभाग की मदद से दूसरे किसान भी मशीनें खरीद सकते हैं और पराली को इकट्ठा कर सकते हैं। इससे प्रदूषण भी नहीं फैलेगा।  रामकुमार ने कहा कि धान के मौसम में मैं 50 लाख रुपये कमाता हूं।

पंजाब में पराली जलाने की अब तक 67 हजार से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं

पंजाब में फसल अवशेष के प्रबंधन और खेतों में पराली जलाने के लिये जुर्माना लगाये जाने के बावजूद प्रदेश में खेतों में आग लगाने की 67 हजार से अधिक घटनायें दर्ज की गयी हैं। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि किसान राज्य भर में धान की पराली जलाने पर प्रतिबंध की धज्जियां उड़ाते रहे, और रविवार को पराली जलाने संबंधी लगभग 2,500 और सोमवार को 1700 घटनाएं देखी गईं, जिनमें से सबसे अधिक संगरूर जिले में हुईं।

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि इस प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए, राज्य सरकार ने अब तक दोषी किसानों के खिलाफ 2.46 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है। अधिकारी ने कहा कि पंजाब में सोमवार तक पराली जलाने की 67,165 घटनाएं हुईं। रविवार तक प्रदेश में पराली जलाने के 65404 मामले दर्ज किये गये जबकि पिछले साल 14 नवंबर तक 73,893 मामले दर्ज किए गए थे। हालांकि, इस साल अब तक ऐसे मामलों की संख्या पिछले साल की तुलना में कम है, लेकिन इसने 2019 के आंकड़ों को पार कर लिया है।

आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में 2019 में 52,991 की तुलना में 2020 में पराली जलाने की 76,590 घटनाएं देखी गई थीं। राज्य सरकार द्वारा पूरे पंजाब में नोडल अधिकारियों की तैनाती और फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए अधिक मशीनें देने के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि सरकार हमें धान की पराली के प्रबंधन के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दे।’’ पंजाब और हरियाणा के किसानों पर अक्सर धान की पराली जलाने से वायु प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाया जाता है और अकेले पंजाब में सालाना 20 मिलियन टन धान की पराली पैदा होती है।

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