Wednesday, April 24, 2024
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HC ने मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए तमिलनाडु सरकार का आदेश रद्द किया

न्यायमूर्त रविचंद्रबाबू ने कहा कि आरक्षण ने अप्रत्यक्ष रूप से नीट के उद्देश्य और प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया है और चयन प्र प्रक्रिया से समझौता हुआ। न्यायमूर्त ने अधिकारियों से नई मेरिट लिस्ट बनाने और उसके अनुरूप प्रवेश के लिए काउंसिलिंग करने के निर्

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: July 14, 2017 15:00 IST
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चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए राज्य बोर्ड से पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए 85 प्रतिशत और सीबीएससी तथा अन्य बोर्ड से पढ़ने वाले छात्रों के लिए केवल 15 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले को आज रद्द करते हुए कहा कि यह बराबरी के लोगों के बीच भेदभाव करता है। न्यायमूर्त के रविचंद्रबाबू ने 22 जून के राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीएससी के कुछ छात्रों की याचिका मंजूर करते हुए कहा कि विवादित आरक्षण कानून की नजर में खराब है और संविधान के अनुच्छेद 14 : कानून के समक्ष समानता: का उल्लंघन है। ये भी पढ़ें: भारत और चीन में बढ़ी तल्खियां, जानिए किसके पास है कितनी ताकत

न्यायमूर्त रविचंद्रबाबू ने कहा कि आरक्षण ने अप्रत्यक्ष रूप से नीट के उद्देश्य और प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया है और चयन प्र प्रक्रिया से समझौता हुआ। न्यायमूर्त ने अधिकारियों से नई मेरिट लिस्ट बनाने और उसके अनुरूप प्रवेश के लिए काउंसिलिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने एक छात्र दारनिश कुमार और दो अन्य की याचिकाओं पर 11 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखते हुए मामले का निपटारा होने तक प्रवेश प्रक्रिया में यथा स्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे।

राज्य सरकार ने सरकारी आदेश का यह कहते हुए बचाव किया कि वह नीट के पक्ष में नहीं है जो कि सीबीएससी द्वारा आयोजित किया जाता है। सरकार ने दलील दी कि नीट में 50 प्रतिशत से अधिक प्रश्न सीबीएससी के पाठ्यक्रम पर आधारित थे और इस तरह से अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा में असमानता थी।

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