Friday, April 19, 2024
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संशोधित नागरिकता कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को NGO ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

उच्चतम न्यायालय का रुख कर एक एनजीओ ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने की कवायद पर सरकारी अधिसूचना को ‘‘असंवैधानिक’’ घोषित करने की मांग की है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 13, 2020 22:50 IST
Maharashtra NGO wants SC to declare NPR as...- India TV Hindi
Maharashtra NGO wants SC to declare NPR as 'unconstitutional'

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय का रुख कर एक एनजीओ ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने की कवायद पर सरकारी अधिसूचना को ‘‘असंवैधानिक’’ घोषित करने की मांग की है। यह याचिका गैर सरकारी संगठन ‘माइनॉरटी फ्रंट’ ने दायर कर एनपीआर के प्रावधानों को रद्द करने की मांग की है। यह याचिका अधिवक्ता एजाज मकबूल के मार्फत दायर की गई है। इसमें कहा गया है एनपीआर देश के ‘सामान्य निवासी’ की एक सूची है और एनपीआर के उद्देश्य के लिए एक ‘सामान्य निवासी’ को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी इलाके में पिछले छह महीने से रह रहा हो या जो उस इलाके में अगले छह महीने अथवा उससे अधिक अवधि तक रहने का इरादा रखता हो। 

याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीएए धर्म के आधार पर नागरिकता देता है जो अतार्किक वर्गीकरण करता है और यह संवैधानिक नैतिकता तथा संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। इसमें कहा गया है कि सीएए कहता है कि सरकार का उद्देश्य पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले अल्पसंख्यकों का संरक्षण करना है, जो अविभाजित भारत का हिस्सा थे। लेकिन इसमें अब भी श्रीलंका और भूटान बाहर हैं जहां का राजकीय धर्म बौद्ध है। याचिका में कहा गया है कि सीएए को अलग-थलग रूप में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि इसे एनपीआर तैयार करने की सरकार की अधिसूचना के बाद राष्ट्रव्यापी एनआरसी कराए जाने के साथ एक क्रम के रूप में देखा जाना चाहिए। 

याचिका में कहा गया है कि इस अधिनियम को व्यापक रूप से पढ़ा जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि सरकार को देश के कानून तैयार करते वक्त वैश्विक मानवाधिकार कानूनों एवं अंतरराष्ट्रीय संधियों का पालन करना चाहिए। शीर्ष न्यायालय ने सीएए की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर 18 दिसंबर को केंद्र को एक नोटिस जारी किया था और जनवरी के दूसरे सप्ताह तक उसपर जवाब मांगा था। न्यायालय ने सीएए के खिलाफ कुल 59 याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की है।

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