नई दिल्ली: लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले सुधारों को आगे बढ़ाने का वादा करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि सरकार सब्सिडी समाप्त नहीं करेगी बल्कि उन्हें तर्कसंगत बनाकर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने की लक्षित व्यवस्था के साथ आगे बढ़ेगी। उन्होंने संसाधनों के आवंटन में दक्षता लाने और नागरिकों की प्रगति के लिए संभावनायें पैदा करने का वादा करते हुये कहा कि बेवजह के नियंत्रणों और विकृति को समाप्त किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने इकोनोमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सभी तरह की सब्सिडी अच्छी हैं। मेरा कहना है कि इस तरह के मामलों में कोई सैद्धांतिक स्थिति नहीं अपनाई जा सकती। हमें प्रगतिशील होना चाहिये। हमें बेकार सब्सिडियों को समाप्त करना चाहिये, चाहे वह सब्सिडी है या नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन कुछ सब्सिडी ऐसी हैं जो कि गरीब और जरूरतमंद के लिये जरूरी हो सकती हैं, उन्हें सफल होने के लिये उचित मौका मिलना चाहिए। इसलिये मेरा उद्देश्य सभी सब्सिडी को समाप्त करना नहीं है बल्कि उन्हें तर्कसंगत और सीधे लक्ष्य तक पहुंचाना है।’
प्रधानमंत्री ने अर्थशास्त्रियों और उद्योगपतियों के मामले में चुटकी लेते हुए कहा कि उद्योगों को जब कुछ दिया जाता है तो उसे प्रोत्साहन अथवा आर्थिक सहायता कहा जाता है जबकि किसानों को दी गई सहायता को अपमानजनक तरीके से सब्सिडी कहा जाता है। मोदी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है और एक दूसरे से जुड़ी आज की दुनिया में एक यदि कोई कदम उठाता है तो दूसरे पर उसका प्रभाव पड़ता है।
पीएम मोदी ने कहा कि जहां एक तरफ दुनिया के कई हिस्सों में आर्थिक सुस्ती का दौर जारी है वहीं भारत पिछली चार तिमाहियों में दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश रहा है। भारत खरीद क्षमता के मामले में दुनिया की जीडीपी में 7.4 प्रतिशत का योगदान करता है। भारत दुनिया की वृद्धि में 12.5 प्रतिशत योगदान करता है जो कि उसके हिस्से के मुकाबले 68 प्रतिशत अधिक है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र में जब से राजग की सरकार सत्ता में आई है आर्थिक वृद्धि बढ़ी है और मुद्रास्फीति कम हुई है। विदेशी निवेश बढ़ा है और राजकोषीय घाटा कम हुआ है। वैश्विक व्यापार में सुस्ती के बावजूद भुगतान संतुलन घाटे में भी कमी आई है। मोदी ने कहा कि जब वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कम हुआ है, भारत में पिछले 18 माह के दौरान इसमें 39 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
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