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भोपाल पुलिस की मॉक ड्रिल आई विवादों में, सांकेतिक प्रदर्शनकारियों के रूप में किसानों को किया शामिल

अयोध्या फैसले और आगामी त्योहारों के मद्देनजर प्रदेश भर में कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए पुलिस मॉक ड्रिल का आयोजन कर रही है लेकिन भोपाल में हुए ऐसे ही एक मॉक ड्रिल के चलते मध्यप्रदेश में सियासत तेज हो गई है।

Written by: Anurag Amitabh @anuragamitabh
Published : November 07, 2019 13:46 IST
Representational pic- India TV Hindi
Representational pic

भोपाल: अयोध्या फैसले और आगामी त्योहारों के मद्देनजर प्रदेश भर में कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए पुलिस मॉक ड्रिल का आयोजन कर रही है लेकिन भोपाल में हुए ऐसे ही एक मॉक ड्रिल के चलते मध्यप्रदेश में सियासत तेज हो गई है। दरअसल भोपाल पुलिस ने कानून व्यवस्था के अभ्यास के लिए जो मॉक ड्रिल कि उसे किसान आंदोलन पर लाठीचार्ज का नाम दिया गया। भाजपा ने एतराज जताते हुए कहा कि किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ, बाढ़ का मुआवजा नहीं मिला किसान आक्रोशित हैं जमीन पर उतरने वाला है इसलिए आप किसानों की छाती पर गोली दागने का अभ्यास करवा रहे हो।

मध्य प्रदेश में नवंबर महीने में पढ़ने वाले प्रमुख त्योहारों और अयोध्या मामले के संभावित निर्णय के चलते सांप्रदायिक सौहार्द और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस प्रदेश भर के सभी कर्मचारियों अधिकारियों की छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। वही कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए शहरों में मौजूद का भी आयोजन किया जा रहा है लेकिन भोपाल में की गई है ऐसी ही मॉक ड्रिल विवादों में में आ गई है।

bhopal police mock drill

bhopal police mock drill

दरअसल इस मॉक ड्रिल में पुलिस ने सांकेतिक प्रदर्शनकारियों की भूमिका में किसान आंदोलनकारियों को रखा जो सांकेतिक तौर पर विभिन्न मांगों और मुआवजे की मांग कर रहे थे। भले यह मॉडल था लेकिन भाजपा ने इसका सहारा लेते हुए कमलनाथ सरकार पर हमला बोल दिया औक कहा कि मध्य प्रदेश के किसान कर्ज माफी न होने से नाराज हैं बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा न मिलने से आंदोलन कर सकते हैं यही वजह है कि सरकार ने उन्हें डराने के लिए मॉक ड्रिल के नाम पर किसान आंदोलन का सहारा लिया।

बता दें कि पुलिस शांति व्यवस्था और कानून की स्थिति को संभालने के लिए इस तरीके की मॉक ड्रिल का सहारा लेती है। इसमें पुलिस सांकेतिक तौर पर प्रदर्शनकारियों को शामिल करती है जो गाड़ियों में तोड़फोड़ समेत बवाल करते हैं पुलिस जिन्हें समझाती है उसके बाद पुलिस लाठीचार्ज और गोली का उपयोग करती है। भोपाल में हुई इस मॉक ड्रिल में भोपाल पुलिस ने सांकेतिक प्रदर्शनकारियों की जगह किसान को अपनी समस्याओं को उठाते हुए दिखाया जिन्हें पुलिस प्रशासन द्वारा समझाए जाने के बावजूद ना समझने पर उन पर लाठीचार्ज किया गया गोली चलाई गई जिसमें एक किसान आंदोलनकारियों का लीडर गोली लगने के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया। साथ ही दो दर्जन प्रदर्शनकारियों के साथ-साथ आधा दर्जन पुलिसकर्मी भी घायल हुए। हालांकि किसानों को लेकर उठे इस विवाद पर कमलनाथ सरकार के मंत्री का कहना है कि यह एक तरीके की प्रैक्टिस थी उद्देश्य गलत नहीं था किसी के साथ भी की जा सकती थी बीजेपी के पेट में दर्द नहीं होना चाहिए।

किसानों की कर्ज माफी के दावे और वादे के साथ सत्ता में आई कमलनाथ सरकार कर्ज माफी पूरी ना हो जाने के चलते अब तक भाजपा समेत किसानों के निशाने पर है। ऐसे में जबकि बाढ़ से बेहाल किसानों को मुआवजा नहीं मिला, कर्ज माफी नहीं हुई और किसानों के नाम पर की गई मॉक ड्रिल फिर कमलनाथ सरकार के इरादों पर सवाल उठाते नजर आती है।

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