दुष्ट स्त्री का भरण-पोषण न करें-
किसी भी व्यक्ति का पेट भरना, उसका लालन-पालन करना आमतौर पर पुण्य का काम माना जाता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसी स्त्री का भरण पोषण करता है जो बुरे स्वभाव की है, कर्कशा है और वो चरित्रहीन है तो इसे चाणक्य उचित नहीं मानते थे उनका कहना था कि किसी भी व्यक्ति को ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसी स्त्री का भरण पोषण करने से भी सुख की प्राप्ति नहीं होती है। चाणक्य का मानना था कि सज्जन पुरुष अगर ऐसी ही किसी स्त्री के संपर्क में आते हैं तो उन्हें अपयश ही प्राप्त होता है।
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