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कैसा है भारत और उत्तर कोरिया का रिश्ता, क्या दोनों हैं दोस्त?

बेलगाम किम जोंग और मोदी सरकार क्या आपस में दोस्त हैं? इस सवाल का सीधा जवाब देने के लिये हमें इतिहास के कुछ पन्ने उलटने की जरूरत है।

India TV News Desk
Published : May 10, 2017 09:25 am IST, Updated : May 10, 2017 09:25 am IST
Kim-Modi- India TV Hindi
Kim-Modi

नई दिल्ली: बेलगाम किम जोंग और मोदी सरकार क्या आपस में दोस्त हैं? इस सवाल का सीधा जवाब देने के लिये हमें इतिहास के कुछ पन्ने उलटने की जरूरत है। भारत के गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने सितंबर 2016 में कहा था कि उन्हें लगता है कि दोनों देशों के बीच पुरानी बाधाएं या शक नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा था कि उत्तर कोरिया एक स्वतंत्र देश है और यूनाइटेड नेशन्स का सदस्य भी है। (ये हैं भारत की महिला राजनेता जो अपने ग्लैमरस लुक के लिये भी हैं मशहूर)

दोनों देशों के बीच 1970 से डिप्लोमैटिक संबंध है लेकिन भारत भी उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम का कट्टर विरोधी है। साल 2006 में किम जोंग ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को दरकिनार करते हुए पहला परमाणु परीक्षण किया था और तभी से संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर कड़े प्रतिबंध लगा दिये थे। भारत में यूपीए सरकार किम जोंग से दोस्ताना रिश्ते चाहती थी और इसीलिए ना केवल जरूरी सामान उत्तर कोरिया को भेजा जाता था, बल्कि तानाशाह की सेना को ट्रेनिंग तक भारतीय सेना देती थी, लेकिन अब सबकुछ बंद हो गया है।

बीते सालों में भारत ने उत्तर कोरिया पर यह आरोप भी लगाया था कि वह पाकिस्तान को न्यूक्लिअर तकनीक बेचता है। उत्तर कोरिया को इस बात की चिंता भी रही है कि भारत उसके विरोधी दक्षिण कोरिया से अपनी नजदीकी बढ़ा रहा है।

भारत में उत्तर कोरिया का कोई डिप्लोमैट बात करने के लिए तैयार नहीं होता है। वहां के लोग काफ़ी डरे हुए होते हैं। अगर किसी भारतीय को उत्तर कोरिया का वीज़ा चाहिए होता है तो उसे पहले बीज़िंग जाना होता है या फिर चीनी विदेश मंत्रालय के ज़रिए ही वीज़ा दिया जाता है।

उत्तर कोरिया में भी भारतीय दूतावास बहुत बेहतर स्थिति में नहीं है। उत्तर कोरिया में कोई राजदूत बनकर नहीं जाना चाहता है। नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद जानी-मानी चीनी अनुवादक जसमिंदर कस्तुरिया को प्योंगयांग में भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया था।

वहीं जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कोरियन स्टडीज की प्रोफ़ेसर वैजयंती राघवन ने बीबीसी से कहा कि उत्तर कोरिया से संबंधों में गर्मजोशी भारत के लिए फ़ायदेमंद साबित हो सकती थी क्योंकि उत्तर कोरिया प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध देश है, यहां कोयला, बॉक्साइट और अन्य खनिज संपदा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।

उन्होंने कहा, "अगर हम उत्तर कोरिया को चीन और पाकिस्तान के साथ मज़बूत साठगांठ से अलग करना चाहते हैं तो उसके साथ बेहतर संबंध बनाना ज़रूरी होगा।'' 1990 में आर्थिक उदारीकरण के बाद भारत में सबसे पहले आगे बढ़कर निवेश करने वाले देशों में दक्षिण कोरिया भी एक था। तब से नई दिल्ली का सोल की तरफ़ झुकाव ज्यादा घोषित तौर पर सामने आया।

अगले स्लाइड में उत्तर कोरिया में चल रही है तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी.....

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