Thursday, April 25, 2024
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1975 में लगे आपातकाल पर CJI चंद्रचूड़ का बड़ा बयान, जानें इंदिरा गांधी के फैसले पर क्या कहा?

CJI DY Chandrachud Spoke on Emergency in 1975: देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा वर्ष 1975 में लगाई गई इमरजेंसी की चर्चा समय-समय पर होती रहती है। इसे लेकर कई बार पक्ष और विपक्ष में तकरार भी हो चुकी है। मगर इमरजेंसी का यह फैसला देश के माथे पर ऐसा कलंक बन चुका है कि जिसका जिक्र यदा-कदा हो ही जाता है।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: December 18, 2022 16:31 IST
डीवाई चंद्रचूड़, सीजेआइ (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : PTI डीवाई चंद्रचूड़, सीजेआइ (फाइल)

CJI DY Chandrachud Spoke on Emergency in 1975: देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा वर्ष 1975 में लगाई गई इमरजेंसी की चर्चा समय-समय पर होती रहती है। इसे लेकर कई बार पक्ष और विपक्ष में तकरार भी हो चुकी है। मगर इमरजेंसी का यह फैसला देश के माथे पर ऐसा कलंक बन चुका है कि जिसका जिक्र यदा-कदा हो ही जाता है। इस बार देश में लगे आपाताकाल का जिक्र देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने किया है। उन्होंने इमरजेंसी की यादों को ताजा करते हुए यह भी बताया कि उस दौरान लोकतंत्र कैसे बच पाया?...अचानक सीजेआइ को इंदिरा गांधी के इस फैसले की याद कैसे आ गई, आइए इस बारे में आपको सबकुछ बताते हैं।

देश के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को बंबई उच्च न्यायालय के सम्मान समारोह में थे। उन्होंने इस दौरान कहा कि 1975 में आपातकाल के दौरान ‘अदालतों की स्वतंत्रता की निडर भावना’ ने लोकतंत्र को बचाया। नवंबर में भारत के प्रधान न्यायाधीश का पद संभालने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को यहां बंबई उच्च न्यायालय ने सम्मानित किया। समारोह में उन्होंने अतीत में कई न्यायाधीशों और उनके साथ काम करने के अपने अनुभव के बारे में भी विस्तार से बात की।

1975 में अदालतों की स्वतंत्रता की निडर भावना ने बचाया लोकतंत्र

प्रधान न्यायाधीश ने कहाकि यह राणे जैसे न्यायाधीश थे जिन्होंने स्वतंत्रता की मशाल को जलाए रखा जो 1975 में आपातकाल के उन वर्षों में मंद हो गई थी। यह हमारी अदालतों की स्वतंत्रता की निडर भावना थी, जिसने 1975 में भारतीय लोकतंत्र को बचाया था। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र ‘‘हमारी अपनी अदालतों की निडर परंपरा, न्यायाधीशों के  व बार के एक साथ आने और स्वतंत्रता की मशाल थामने के कारण हमेशा से कायम रही है। बंबई उच्च न्यायालय के बारे में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इसकी ताकत भविष्य के लिए कानून लिखने, तैयार करने और कानून बनाने की क्षमता में निहित है। उन्होंने कहा, ‘‘बंबई उच्च न्यायालय में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए हम जो कुछ भी कर सकते हैं वह हम करते हैं।

सीजेआइ ने कहाकि मेरा मानना है कि बार को मार्गदर्शन प्रदान करने में न्यायाधीशों की अहम भूमिका होती है। प्रधान न्यायाधीश ने अदालतों के कामकाज में प्रौद्योगिकी के बढ़ते महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ दशकों में न्यायिक संस्थानों की प्रकृति बदल गई है। हमारे कामकाज में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। अगर कोविड महामारी के समय में तकनीक नहीं होती तो हम काम नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान तैयार किए गए बुनियादी ढांचे को खत्म नहीं किया जाना चाहिए।

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