साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की अपराध आय से जुड़े कई साइबर क्राइम के मामलों में जांच करते हुए चार आरोपियों को पकड़ा है। ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत चार आरोपियों - मकबुल अब्दुल रहमान डॉक्टर, काशिफ मकबुल डॉक्टर, महेश मफतलाल देसाई और ओम राजेंद्र पंड्या को गिरफ्तार किया है।
कैसे अपराध करते थे आरोपी?
दरअसल, ये कार्रवाई ईडी, सूरत सब-जोनल ऑफिस ने की है। ईडी की ओर से यह बड़ी कार्रवाई 100 करोड़ रुपये से अधिक के साइबर फ्रॉड मामले में हुई। ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए साइबर फ्रॉड पर शिकंजा कसा है। जानकारी के मुताबिक, आरोपियों ने डिजिटल अरेस्ट, फॉरेक्स ट्रेडिंग, फर्जी सुप्रीम कोर्ट और ईडी के फर्जी नोटिस भेजकर लोगों को ठगा है।
आरोपी 5 दिन की ईडी कस्टडी में भेजे गए
जानकारी के मुताबिक, आरोपियों द्वारा अपराध की रकम (POC) क्रिप्टोकरेंसी (USDT) में बदलकर हवाला रूट से लॉन्डर की गई। आरोपियों ने इसके लिए फर्जी नामों पर बैंक अकाउंट और प्री-एक्टिवेटेड सिम का इस्तेमाल किया। अहमदाबाद की विशेष पीएमएलए अदालत ने गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों को 5 दिन की ईडी कस्टडी में भेज दिया है।
इधर, हिमाचल में भी कार्रवाई
इधर एक अन्य मामले में प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने हिमाचल प्रदेश के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी की ये कार्रवाई PMLA के तहत की गई है। निशांत सरीन पर आरोप है कि बतौर ड्रग इंस्पेक्टर और बाद में असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर, उन्होंने दवा कंपनियों से रिश्वत लेकर भारी संपत्ति बनाई। हिमाचल पुलिस की विजिलेंस ने पहले भ्रष्टाचार, जालसाजी, धोखाधड़ी और साजिश के मामले में निशांत सरीन और उनकी सहयोगी कोमल खन्ना के खिलाफ केस दर्ज किया था।
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