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'1962 की जंग में चीन का हमला काफी धीमा हो जाता अगर...', CDS अनिल चौहान ने किया बड़ा दावा

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि1962 के युद्ध में वायुसेना के इस्तेमाल से चीनी आक्रमण काफी धीमा हो जाता। आइए जानते हैं कि उन्होंने इस बारे में और क्या कुछ कहा है।

Edited By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Published : Sep 25, 2025 10:31 am IST, Updated : Sep 25, 2025 11:48 am IST
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Image Source : PTI 1962 युद्ध को लेकर सीडीएस चौहान का बड़ा दावा।

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी CDS जनरल अनिल चौहान ने साल 1962 में भारत और चीन के बीच हुए युद्ध को लेकर बड़ा दावा किया है। सीडीएस अनिल चौहान ने कहा है कि भारत-चीन युद्ध के दौरान अगर वायुसेना का इस्तेमाल किया गया होता तो चीन का आक्रमण काफी धीमा पड़ जाता। इस दौरान सीडीएस चौहान ने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर का भी हवाला दिया है।

युद्ध का स्वरूप भी बदल गया है- CDS

दरअसल, सीडीएस जनरल अनिल चौहान पुणे में दिवंगत लेफ्टिनेंट जनरल एस पी पी थोराट की संशोधित आत्मकथा-'रेवेली टू रिट्रीट' के विमोचन के दौरान एक रिकॉर्डेड वीडियो संदेश दिया है। आपको बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल थोराट भारत-चीन युद्ध से पहले पूर्वी कमान के ‘जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ’ पद पर तैनात थे। यहां उन्होंने चीन के साथ 63 वर्ष पहले हुई जंग के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि बीते कुछ समय से सुरक्षा स्थिति और युद्ध का स्वरूप भी बदल गया है।

सरकार ने कदम को उठाने की मंजूरी नहीं दी- CDS

जनरल CDS अनिल चौहान ने बताया है कि लेफ्टिनेंट जनरल थोराट 1962 में चीन से युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना को इस्तेमाल किए जाने के बारे में सोच रहे थे। हालांकि, तब की सरकार ने इस कदम को उठाने की मंजूरी नहीं दी। सीडीएस चौहान ने कहा कि युद्ध के दौरान वायुसेना का इस्तेमाल किया जाता तो इससे काफी फायदा होता।

वायुसेना के इस्तेमाल से क्या फायदा होता?

CDS अनिल चौहान ने अपने संदेश में कहा है कि 1962 में वायुसेना के इस्तेमाल के कारण चीन के हमले की गति काफी कम हो जाती। सीडीएस ने आगे कहा- "इससे थल सेना को तैयारी के लिए काफ़ी समय मिल जाता। उन दिनों, मुझे लगता है, वायु सेना के इस्तेमाल को तनाव बढ़ाने वाला माना जाता था। मुझे लगता है कि अब यह सच नहीं है, और ऑपरेशन सिंदूर इसका एक सटीक उदाहरण है।" (इनपुट: भाषा)

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