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उत्तराखंड: सुरंग में फंसे श्रमिकों को अभी और इंतजार करना होगा, NDMA के सदस्य ने कहा-'रेस्क्यू ऑपरेशन काफी लंबा चल सकता है'

उत्तराखंड के सुरंग में फंसे श्रमिकों को अभी और इंतजार करना होगा। ड्रिलिंग मशीन में आई खराबी के बाद अब बचा हुआ काम मैन्यूअल तरीके से किया जाएगा। ऐसी स्थिति में रेस्क्यू ऑपरेशन लंबा खिंच सकता है।

Reported By : Shoaib Raza Edited By : Niraj Kumar Published : Nov 25, 2023 04:51 pm IST, Updated : Nov 25, 2023 04:59 pm IST
Uttarakhand, tunnel accident- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नेशनल डिसास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य ले. जनरल सैय्यद अता हसनैन

नई दिल्ली : उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन लंबा खिंच सकता है। यह बात नेशनल डिसास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य ले. जनरल सैय्यद अता हसनैन ने राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही। उन्होंने कहा कि राहत की बात ये है कि जो भी श्रमिक वहां फंसे हुए हैं उनसे बात हो रही है। वे लोग ठीक हैं। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन में कुछ अड़चने आ गई हैं। हम मलबे में 62 मीटर तक जाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन मशीन 47 मीटर के बाद रुक गई है। अब वहां कटर का काम ज्यादा बचा है। जिससे कटा हुआ हिस्सा बाहर निकाला जा सके उसके बाद मैन्यूअल काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक मशीन भारतीय वायुसेना ने एयरलिफ्ट की है। उनका कहना है कि 6 इंच का पाइप काम कर रहा है।

पहले की तरह तेजी से नहीं हो पाएगा काम

उन्होंने कहा कि अब  काम उतनी तेजी के साथ नही हो पाएगा जिस तरह से पहले हो रहा था। क्योंकि पहले मशीन के जरिए ड्रिलिंग हो रही थी, लेकिन अब इसे मैन्यूअल तरीके से किया जाएगा। हम कोशिश करेंगे कि ऊपर से भी खुदाई हो। इसके लिए 86 मीटर तक इसके लिए जाना पड़ेगा उसके बाद सीधा करके आगे बढ़ा जाएगा। अभी दो तरीके इस्तेमाल किए जा रहे है लेकिन हो सकता है एक तीसरा तरीका भी इस्तेमाल किया जाए लेकिन वो क्लियर नहीं है। 

पहाड़ से लड़ रहे, टाइम लाइन नहीं बताई जा सकती

उन्होंने कहा पहले मीडिया खुद ही अनुमान लगा रहा था कि कितने दिन लगेंगे, हमने कभी नहीं कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन में कितने दिन लगेंगे। ये एक तरह की लड़ाई जिसको जीतना है। आप पहाड़ से लड़ रहे हैं, इसमें टाइम लाइन नहीं बताई जा सकती कब तक पूरा होगा।

रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा से परिजनों में बेचैनी बढ़ी

रेस्क्यू ऑपरेशन में जैसे-जैसे एक के बाद एक बाधाएं आ रही हैं, बेचैनी और निराशा बढ़ती जा रही है। फंसे हुए श्रमिकों और उनके रिश्तेदारों के बीच बातचीत छह इंच चौड़े पाइप के माध्यम से हो रही है। इस पाइप के माध्यम से एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी डाला गया है, जिससे बचावकर्मियों और फंसे व्यक्ति के रिश्तेदारों को अंदर की स्थिति देखने को मिली। रेस्क्यू टीम अब फंसे श्रमिकों के लिए बाहर का रास्ता बनाने के लिए मलबे के बीच एक चौड़ा पाइप डालने की कोशिश कर रही है। 

अन्य विकल्प पर विचार

सुरंग के टूटे हुए हिस्से में ड्रिलिंग शुक्रवार से रोक दी गई क्योंकि ऑगर मशीन को एक के बाद एक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। मौके पर मौजूद एक टनल एक्स्पर्ट ने शनिवार को कहा कि मशीन टूट गई है। बचावकर्ता अब अन्य विकल्प तलाश रहे हैं जैसे कि 10 से 12 मीटर के शेष हिस्से को हाथ से ड्रिलिंग करना या अंदर फंसे 41 मजदूरों के लिए एक लंबवत मार्ग बनाना। चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे श्रमिक मलबे के दूसरी ओर फंस गए थे। तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं।

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