Thursday, December 12, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. संविधान के तहत आपको मिलने वाले कौन से अधिकार हैं जिन्हें आपसे कोई छीन नहीं सकता है

संविधान के तहत आपको मिलने वाले कौन से अधिकार हैं जिन्हें आपसे कोई छीन नहीं सकता है

संविधान में कई ऐसे अधिकार जोड़े गए हैं जिनके बारे में जानने की जरूरत है। देश के हर नागरिक को इन अधिकारों के बारे में जानना चाहिए और नियम के दायरे में उस पर अमल भी करना चाहिए।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jan 25, 2024 14:33 IST, Updated : Jan 25, 2024 15:08 IST
basic fundamental rights- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार

भारत का संविधान देश के हर नागरिक को एक नजर से देखता है फिर चाहें वह स्त्री हो या पुरुष। भारत का संविधान सभी के लिए बराबर है। हमारा संविधान विभिन्नता में एकता के अलावा समानता, शिक्षा, जाति, वर्ग और लिंग भेद में समानता का अधिकार देता है। संविधान की मूल भावना में धर्मनिर्पेक्षता की भी प्रमुखता है लिहाजा धार्मिक स्वतंत्रता हमारे संविधान और देश की मूल पहचान है। लेकिन इनके अलावा संविधान में कई ऐसे अधिकार जोड़े गए हैं जिनके बारे में जानने की जरूरत है। देश के हर नागरिक को इन अधिकारों के बारे में जानना चाहिए और नियम के दायरे में उस पर अमल भी करना चाहिए। आइए जानते हैं संविधान और कानून में कौन कौन से अधिकार दिए गए हैं-

समता का अधिकार

भारत जैसे देश में कई जातियों-धर्मों के लोग रहते हैं। यहां ऊंच-नीच के भेदभाव को खत्म करने के मकसद से समता का अधिकार जोड़ा गया है। इसका आशय सार्वजनिक स्थलों मसलन दुकान, होटल, मनोरंजन स्थल, कुआं, स्नान-घाट, पूजा स्थल में किसी भी जाति, लिंग के नागरिक को बिना भेदभाव प्रवेश करने देने से है। इस पर रोक लगाना गैर-संवैधानिक माना जाएगा। समता का अधिकार अनुच्छेद 14-18 में दर्ज है। यह छुआछूत की कुप्रथा को समाप्त करने के लिए बनाया गया था।

स्वतंत्रता का अधिकार

देश में स्वतंत्रता के अधिकार को खास महत्व दिया जाता है। स्वतंत्रता के अधिकारों को अनुच्छेद 19-22 में शामिल किया गया है। लोकतंत्र में स्वतंत्रता कई अर्थों में मानी जाती है जैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, गिरफ्तार होने पर कानून की मदद लेने की स्वतंत्रता, खाने और पहनने की स्वतंत्रता आदि इसके अंतर्गत आते हैं। इन पर प्रतिबंध नहीं लगाये जा सके। हालांकि इनमें कुछ अधिकारों की सीमा निर्धारित जरूर की गई है। मसलन लोग अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए दूसरे के अधिकारों का हनन नहीं कर सकते।

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

भारत का संविधान धर्मनिर्पेक्षता को सुनिश्चित करता है। यहां संविधान हर नागरिक की आस्था, श्रद्धा और उसकी धार्मिकता की रक्षा करता है। अनुच्छेद 25-28 में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार दिए गए हैं। अनुच्छेद 25 सभी लोगों को अपनी पसंद के धर्म के साथ जीने का हक देता है। अनुच्छेद 27 किसी भी नागरिक को इस बात की गारंटी देता है कि किसी भी व्यक्ति को किसी विशेष धर्म या धार्मिक संस्था को बढ़ावा देने के लिए टैक्स देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

शिक्षा का अधिकार

शिक्षा हासिल करना किसी भी नागरिक का मौलिक अधिकार है और यह अधिकार उसे भारत का संविधान प्रदान करता है। अनुच्छेद 29 और 30 के तहत लोगों को शैक्षिक अधिकार दिए गए हैं। लोगों को शिक्षा देने में किसी भी प्रकार का भेदभाव पर प्रतिबंध है। इसके अलावा भारतीय संसद में एक अन्य अधिनियम बनाया गया था- जिसे शिक्षा का अधिकार कहते हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी Right to education भारतीय संविधान के लिए अनुच्छेद 21(ए) के तहत देश में 6 से 14 साल के बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा निर्धारित है।

सूचना का अधिकार

भारतीय नागरिक के मौलिक अधिकारों में शामिल सूचना का अधिकार अधिनियम को 15 जून 2005 को संसद में पारित किया गया था और 12 अक्टूबर 2005 को पूरे देश में लागू किया गया था। अनुच्छेद 19(1)ए के तहत पारित RTI अधिनियम भारत के किसी भी नागरिक को किसी भी पब्लिक अथॉरिटी से सरकारी सूचना हासिल करने का अधिकार देता है।

यह भी पढ़ें-

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement