Saturday, April 27, 2024
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हाई कोर्ट ने पूछा, किसके आदेश पर लालू प्रसाद को रिम्स निदेशक के बंगले में शिफ्ट किया गया

झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर किसके आदेश पर चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) के निदेशक के ‘केली’ बंगले में शिफ्ट किया गया था और पुनः उन्हें हाल में बंगले से 'पेइंग वार्ड' में शिफ्ट कर दिया गया?

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 04, 2020 22:16 IST
Jharkhand High Court seeks report on shifting Lalu Prasad Yadav from paying ward to director bungalo- India TV Hindi
Image Source : PTI हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि कैदी से अनावश्यक लोग मिलते हैं तो इसके लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार होगा?

रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर किसके आदेश पर चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) के निदेशक के ‘केली’ बंगले में शिफ्ट किया गया था और पुनः उन्हें हाल में बंगले से 'पेइंग वार्ड' में शिफ्ट कर दिया गया? लालू यादव द्वारा रिम्स में इलाज के लिए मिली सुविधाओं के कथित दुरुपयोग से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह ने राज्य सरकार से यह सवाल किए। हाई कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि आखिर अस्पताल में लालू के सेवादार की नियुक्ति किस आधार पर हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है तथा अस्पताल में किसे सेवादार बनाया जा सकता है? 

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इससे पहले न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की पीठ में लालू से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने राज्य सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने अदालत को बताया कि न्यायिक हिरासत में इलाज कराने वाले कैदियों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाई गई है उसी के तहत उनकी सुरक्षा की व्यवस्था की जाती है और लोगों से उनके मिलने की प्रक्रिया तय की जाती है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि कैदी से अनावश्यक लोग मिलते हैं तो इसके लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार होगा? 

हाई कोर्ट के सवालों पर अपर महाधिवक्ता ने एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिस पर इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट ने 18 दिसंबर के लिए निर्धारित की। मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने हाई कोर्ट को बताया कि जेल नियमावली का उल्लंघन करने को लेकर लालू प्रसाद के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि वह एक अलग मामला है। सीबीआई ने कहा कि हाई कोर्ट ने पिछले तीन माह में लालू से मिलने वाले लोगों की सूची भी राज्य प्रशासन से मांगी थी। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि यह सूची उन्हें मिल गई है। 

बता दें कि 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से संबंधित चार विभिन्न मामलों में 14 वर्ष तक कैद की सजा पाने के बाद न्यायिक हिरासत में रिम्स में इलाजरत लालू यादव की जमानत याचिका पर हाई कोर्ट में बहस के दौरान 27 नवंबर को सीबीआई ने यह मामला उठाया था और अदालत को बताया था कि लालू रिम्स में मिली इलाज की सुविधा का दुरुपयोग कर रहे हैं। तब अदालत ने सीबीआई की यह बात सुनने के बाद निर्देश दिया था कि इस मामले में वह चार दिसंबर को सुनवाई करेगी। 

हाई कोर्ट ने लालू की जमानत पर सुनवाई के दौरान अक्तूबर में जेल प्रशासन से पूछा था कि जेल में रहने के दौरान लालू प्रसाद से कितने लोग मिले हैं, इसकी पूरी रिपोर्ट हाई कोर्ट में दाखिल की जाए। इसी आदेश के आलोक में हाई कोर्ट में इसकी रिपोर्ट दाखिल की गई थी। इसके अलावा, नौ अक्तूबर को सुनवाई के दौरान लालू के लंबे समय से रिम्स में इलाज के लिए भर्ती होने के मामले का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने रिम्स प्रशासन को लालू यादव के स्वास्थ्य की विस्तृत रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिये थे। 

खास तौर पर हाई कोर्ट में इन दोनों मामलों में सुनवाई का महत्व लालू यादव द्वारा भाजपा विधायक ललन पासवान को कथित रूप से अस्पताल से फोन कर बिहार सरकार को गिराने में मांगी गयी मदद की पृष्ठभूमि में और बढ़ गया था। इसी फोनकांड के चलते लालू यादव को 26 नवंबर को रिम्स निदेशक के बंगले से आनन-फानन में वापस रिम्स के वार्ड में भेज दिया गया था। 

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