Saturday, April 27, 2024
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वरुण गांधी से लेकर बृजभूषण सिंह तक, BJP के अपने ही दे रहे विपक्ष को हमला करने का मौका

वरुण गांधी पहले पार्टी की तारीफ करते थे, लेकिन संगठन और सरकार में आशानुरूप जगह न मिलने के बाद से वे मुखर हो गए हैं। सरकार की हर बड़ी योजना पर व्यंग के जरिए सोशल मीडिया या अपने आर्टिकल के माध्यम से समय-समय पर समीक्षा करते हैं।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: January 22, 2023 14:08 IST
वरुण गांधी और बृजभूषण सिंह- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO वरुण गांधी और बृजभूषण सिंह

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी विपक्ष को हमलावर होने का एक भी मौका नहीं देना चाहती है। हालांकि, उसके ही दो सांसद विपक्षी दलों को हमला करने का भरपूर मौका दे रहे हैं। इनमें पीलीभीत के सासंद वरुण गांधी और इन दिनों खिलाड़ियों के यौन शोषण के आरोप में घिरे कैसरगंज से सांसद बृजभूषण शरण सिंह का नाम शामिल है। ये दोनों सांसद अपने बयानों से पार्टी और सरकार की मुश्किलें बढ़ाते रहे हैं।

सियासी जानकारों की मानें तो पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी का पार्टी लाइन से हटकर बयान देना कोई ताजा घटनाक्रम नहीं है। पहले वे पार्टी की तारीफ करते थे, लेकिन संगठन और सरकार में आशानुरूप जगह न मिलने के बाद से वे मुखर हो गए हैं। सरकार की हर बड़ी योजना पर व्यंग के जरिए सोशल मीडिया या अपने आर्टिकल के माध्यम से समय-समय पर समीक्षा करते हैं। चाहे किसान आंदोलन हो, अग्निवीर, जीएसटी एक्सप्रेसवे जैसी योजनाएं, उन्होंने अपने बयानों से विपक्ष को हमले का भरपूर मौका दिया है।

वरुण गांधी के बयानों के कारण राजनीतिक पंडित कभी उन्हें सपा, कभी कांग्रेस में जाने की चर्चा करते रहते हैं। बीते दिनों उनकी कांग्रेस में जाने की अटकलें तेज होने लगी थीं, लेकिन उनके चचेरे भाई राहुल गांधी ने साफ कहा कि उनकी विचारधारा में बहुत अंतर है। उन्होंने कहा उनसे वह मिल सकते हैं। गले लगा सकते हैं, लेकिन उनकी विचारधारा को स्वीकार नहीं कर सकते। राहुल के उत्तर के बाद वरुण के अगले कदम चर्चा हो रही है। हालांकिष इन सब मुद्दों पर अभी वरुण गांधी की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।

बाढ़ पर क्या बोले बृजभूषण शरण सिंह?

उधर, बहराइच के कैसरगंज से बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह बीते दिनों से सरकार और संगठन के लिए मुसीबत खड़ी कर विपक्ष को मौका दे रहे हैं। गोंडा, श्रावस्ती और बलरामपुर इलाके में बाढ़ आई तब इस दौरान पत्रकारों ने उनसे व्यस्था के बारे में पूछा था, तो उन्होंने साफ कहा कि कुछ मत पूछिए तो ही अच्छा है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन तो नकारा है। यहां पर तो सब भगवान भरोसे ही हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में इससे खराब इंतजाम नहीं देखा। अगर कुछ बोलेंगे तो बागी कहलाएंगे। उस दौरान अत्यधिक बारिश के कारण प्रदेश के कुछ इलाके बाढ़ से परेशान थे।

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे के अयोध्या आगमन से पहले बृजभूषण ने खुलेआम विरोध कर दिया था। सांसद ने राज ठाकरे की तुलना कालनेमि राक्षस से की थी। इसके बाद बीजेपी के पक्षधर बाबा रामदेव को भी बृजभूषण सिंह ने घेरा। सांसद बृजभूषण सिंह ने पतंजलि उत्पादों पर सवाल उठाया था। उन्होंने बाबा रामदेव को मिलावटखोरों का सम्राट और राजा बताया। बाद में उन्हें संस्थान की तरफ से नोटिस भी मिला। इसके बाद अभी ताजा मामला 18 जनवरी को विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक समेत करीब 30 पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारतीय कुश्ती संघ के खिलाफ धरने पर बैठ गए। बाद में इस प्रदर्शन में और कई खिलाड़ी आ गए।

बृजभूषण सिंह ने आरोपों को बेबुनियाद बताया

इन पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और कुछ कोच पर ओलिंपिक विजेता खिलाड़ियों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। साथ ही इस्तीफा देने की मांग की। हालांकि, ब्रजभूषण ने सारे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए अपनी सफाई दी है, लेकिन मामला ज्यादा बढ़ता देख सरकार के खेलमंत्री को आना पड़ा और एक कमेटी का गठन किया जो सारे मामले की निष्पक्ष जांच करेगी, लेकिन पूरे मामले में विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि यह दोनों बीजेपी में सांसद न होने से पहले इन लोगों का अपना एक स्थान रहा है। बृजभूषण सिंह की दबंगई की छवि थी। उनका कैसरगंज, बलरामपुर, श्रावस्ती इलाके में अपना रुतबा था। वह सपा के नेता थे। उन्हें चुनाव जीतना आता है। उनके इलाके में उनकी अपनी आवाज है। बीजेपी में आने के बाद उन्हें उम्मीद थी उनकी छवि के वजह से कुछ मिलेगी। 

बड़े नेता का विश्वास नहीं जीत पाए वरुण गांधी

वरुण गांधी भी गांधी परिवार से आते हैं। उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ आवाज उठाई। वह लिखने-पढ़ने और रिसर्चर माने जाते थे। उनकी छवि एक अच्छे वक्ता के रूप में है। दोनों अपने इतिहास की वजह से बीजेपी में तो हैं, लेकिन किसी भी बड़े नेता का विश्वास नहीं जीत पाए। वरुण गांधी मेनका गांधी की छवि से बाहर नहीं निकल पाए। यह दोनों ऐसा मानते थे कि उन्हें उनकी छवि के कारण उन्हें बीजेपी में कोई बड़ी भूमिका मिलेगी, तब वह अपनी कार्यक्षमता को सिद्ध करेंगे। अब इन लोगों में असंतोष आने लगा है। ऐसा लगता है कि आने वाले समय में भी यह लोग हाशिए में रहेंगे। बीजेपी इनको कोई अहम भूमिका नहीं देगी।

सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डाक्टर आशुतोष वर्मा कहते हैं कि देर सबेर अपनी जनता के लिए सदैव खड़े रहने वाले नेता बीजेपी की जनविरोधी नीति के खिलाफ होंगे। बीजेपी के दो सांसदों ने इसकी शुरुआत कर दी। अभी आगे देखें तो यह संख्या बढ़ती जाएगी। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि पार्टी का अनुशासन सबके लिए समान रूप से लागू है। पार्टी की नीतियां हैं उसकी निष्ठा पर काम करना और नेतृत्व के मार्गदर्शन पर काम करना, यह पार्टी का नियम है, यह सब पर लागू होता है। अनुशासन से परे होकर कोई काम करता है, उसके लिए हमारी एक समिति है, वो इस पर संज्ञान लेती है।

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