Thursday, April 25, 2024
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गोमती रिवर फ्रंट घोटाला! नोएडा, गाजियाबाद और लखनऊ सहित 42 जगहों पर CBI की छापेमारी

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार के दौरान गोमती नदी पर रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट शुरू गिया गया था और आरोप है कि उस प्रोजेक्ट में घोटाला हुआ है। लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट के लिए अखिलेश सरकार ने 1513 करोड़ मंजूर किए थे

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 05, 2021 12:01 IST
गोमती रिवर  फ्रंट में...- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE) गोमती रिवर  फ्रंट में घोटाले के आरोप में CBI ने 42 जगहों पर छापेमारी की है

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के समय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले के आरोप में FIR के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने छापेमारी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में 42 जगहों पर सोमवार को छापेमारी हुई है। उत्तर प्रदेश में लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली और इटावा में CBI ने छापेमारी की है। यूपी की कुल 40 जगहों पर छापेमारी हुई है, इसके अलावा राजस्थान और पश्चिम बंगाल में भी छापे पड़े हैं। 

CBI ने इस मामले में दूसरी एफआईआर दर्ज की है और कुल 189 लोगों को आरोपी बनाया है जिनमें 173 प्राइवेट पर्सन हैं और 16 सरकारी अधिकारी हैं। सरकारी अधिकारियों में 3 चीफ इंजीनियरों और 6 सहायक इंजीनियरों के यहां छापेमारी हो रही है। 

उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार के दौरान गोमती नदी पर रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट शुरू गिया गया था और आरोप है कि उस प्रोजेक्ट में घोटाला हुआ है। लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट के लिए अखिलेश सरकार ने 1513 करोड़ मंजूर किए थे, लेकिन बाद में 1437 करोड़ रुपए जारी होने के बावजूद रिवर फ्रंट का सिर्फ 60 प्रतिशत ही काम हो पाया था। आरोप है कि इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही कंपनियों ने 95 प्रतिशत पैसा लेने के बावजूद 60 प्रतिशत ही काम किया था।

2017 में जब उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो गोमती रिवर फ्रंट में हुए कथित घोटाले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया किया था। जांच में सामने आया कि डिफॉल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया, पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था। मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग ने इस मामले में अपनी जांच रिपोर्ट भेजी और प्रोजेक्ट में कई खमियां बताईं। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेजा था।

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