Saturday, April 27, 2024
Advertisement

उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों और गांवों में 'राम भरोसे' हैं अस्पताल, COVID स्थिति पर HC की तल्ख टिप्पणी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को कोरोनोवायरस प्रसार और रोकथाम की स्थिति को लेकर तल्ख टिप्पणी की है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 18, 2021 10:31 IST
उत्तर प्रदेश के छोटे...- India TV Hindi
Image Source : PTI उत्तर प्रदेश के छोटे शहरों और गांवों में 'राम भरोसे' हैं अस्पताल, COVID स्थिति पर HC की तल्ख टिप्पणी

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को कोरोनोवायरस प्रसार और रोकथाम की स्थिति को लेकर तल्ख टिप्पणी की है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश के गांवों और छोटे शहरों में पूरी चिकित्सा व्यवस्था भगवान की दया ("राम भरोसे") पर है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और अजीत कुमार की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मेरठ के एक अस्पताल में एक आइसोलेशन वार्ड में भर्ती संतोष कुमार (64) की मौत पर यह टिप्पणी की है। जांच रिपोर्ट के अनुसार, वहां के डॉक्टर उसकी पहचान करने में विफल रहे और शव को अज्ञात बता कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। संतोष 22 अप्रैल को अस्पताल के बाथरूम में बेहोश हो गऐ थे और डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की कोशिश की लेकिन उसकी मृत्यु हो गई।

अस्पताल के कर्मचारी मृतकों की पहचान नहीं कर सके और उनकी फाइल का पता भी नहीं लगाया गया। इस प्रकार, इसे एक अज्ञात मृतक के रूप में दर्ज किया गया। जांच रिपोर्ट के अनुसार, शव को एक बैग में पैक किया गया था और उसका निस्तारण कर दिया गया था। 

उच्च न्यायालय ने सोमवार को इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर मेरठ जैसे शहर के मेडिकल कॉलेज की यही स्थिति है तो छोटे शहरों और गांवों से संबंधित राज्य की पूरी चिकित्सा प्रणाली को एक ''राम भरोस'' ही माना जा सकता है।  अगर डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ इस तरह की लापरवाही बरतते हैं और अपने कर्तव्य के निर्वहन में लापरवाही दिखाते हैं, तो यह गंभीर कदाचार का मामला है। यह निर्दोष लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। अदालत ने कहा कि राज्य को जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। 

पांच जिलों के जिलाधिकारियों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अवलोकन पर, अदालत ने कहा, "हमें यह देखने में कोई संकोच नहीं है कि शहर की आबादी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा बिल्कुल अपर्याप्त है और ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वस्तुतः नदारद हैं। 

अदालत ने राज्य सरकार को पूर्व में जारी अपने निर्देश के अनुपालन में पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। कोरोनोवायरस टीकाकरण के मुद्दे पर, अदालत ने सुझाव दिया कि विभिन्न धार्मिक संगठनों को दान करके कराधान कानूनों के तहत लाभ लेने वाले बड़े व्यापारिक घरानों को टीकों की व्यवस्था करने को कहा जा सकता है।

अदालत ने कहा कि प्रत्येक नर्सिंग होम/अस्पताल, जिसमें 20 से अधिक बिस्तर हैं, में कम से कम 40 प्रतिशत बिस्तर आईसीयू के रूप में होने चाहिए। अदालत ने कहा कि हर नर्सिंग होम और अस्पताल, जिसमें 30 से अधिक बिस्तर हैं, में अनिवार्य रूप से ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र होना चाहिए।

अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 22 मई तय करते हुए सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश के हर दूसरे और तीसरे स्तर के शहर में कम से कम 20 एम्बुलेंस उपलब्ध कराई जानी चाहिए और हर गांव में गहन देखभाल इकाई की सुविधा के साथ कम से कम दो एम्बुलेंस उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

Latest Uttar Pradesh News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Uttar Pradesh News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement