Friday, May 24, 2024
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पेरोल पर फरार हुआ दुष्कर्म का दोषी 33 साल तक पुलिस को देता रहा चकमा, ऐसे हुआ गिरफ्तार

1987 में दोषी ठहराया गया सिंह तीन दशक से अधिक समय से अपनी पत्नी के साथ दिल्ली में रह रहा था और शहर में कपड़े की एक दुकान में काम कर रहा था। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 12, 2022 21:31 IST
पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार- India TV Hindi
Image Source : FILE पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बलात्कार के एक दोषी को पेरोल मिलने पर फरार होने के 33 वर्ष बाद दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने मंगलावर को बताया कि दोषी दिल्ली में नकली पहचान पर रह रहा था। उन्होंने कहा कि हाथरस रघुनंदन सिंह (56) के पैतृक गांव रिश्तेदार यह जानकर हैरान रह गए कि वह “जीवित” था क्योंकि वे और साथी ग्रामीणों यही मान रहे थे कि वह मर चुका है। 

हाथरस के पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि 1987 में दोषी ठहराया गया सिंह तीन दशक से अधिक समय से अपनी पत्नी के साथ दिल्ली में रह रहा था और शहर में कपड़े की एक दुकान में काम कर रहा था। 

जायसवाल ने कहा, 'उसे बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराया गया था लेकिन सजा काटते हुए पेरोल दी गई थी। वह परोल पर जेल से बाहर आने के बाद गायब हो गया और पिछले 33 वर्ष से फरार था। उसे अब गिरफ्तार कर लिया गया है।' 

कब हुआ था फरार?

अधिकारी ने बताया कि उसके खिलाफ 1986 में जिले के हाथरस जंक्शन पुलिस थाने में बलात्कार के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अगले साल, एक स्थानीय अदालत ने उसे अपराध का दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्होंने कहा कि 1989 में उस व्यक्ति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की जिसके बाद उसे पेरोल पर रिहा कर दिया गया। 

जायसवाल ने कहा, 'लेकिन बाहर निकलने के बाद उसने गांव में अपनी सारी चल-अचल संपत्ति बेच दी और फरार हो गया। वह फिर एक नई जाली पहचान के तहत दिल्ली चला गया और शादी कर घर बसा लिया।' जायसवाल ने कहा कि वह तीन दशक से अधिक समय से दिल्ली के बुराड़ी इलाके में रह रहा था और उच्च न्यायालय ने भी उसकी गिरफ्तारी के आदेश जारी किए थे। 

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'मैंने उसकी गिरफ्तारी पर 25,000 रुपये के इनाम की घोषणा की थी और सिकंदरा राव इलाके के क्षेत्राधिकारी के नेतृत्व में कई टीमों का गठन किया था।' उन्होंने कहा कि विशेष अभियान समूह को भी शामिल किया गया और बुराड़ी के संत नगर से पकड़े गए आरोपी का पता लगाने के लिए तकनीकी निगरानी की मदद ली गई। 

अधिकारियों के अनुसार, सिंह के पैतृक गांव के निवासियों और रिश्तेदारों का मानना था कि उसकी मृत्यु हो गई थी क्योंकि 1989 में उसके गायब होने के बाद उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अधिकारियों ने कहा कि अदालत के आदेशों के अनुपालन में स्थानीय पुलिस द्वारा अनुवर्ती कार्रवाई के दौरान, अधिकारियों को ग्राम प्रधानों द्वारा सूचित किया गया कि सिंह की मृत्यु हो गई है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी की खबर ने ग्रामीणों और उनके रिश्तेदारों को चौंका दिया है। पुलिस ने बताया कि हाथरस जंक्शन थाना के अधिकारी मामले में कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं।

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