Monday, April 29, 2024
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षटतिला एकादशी: इस दिन पूजा करने से मिलता है हजारों यज्ञों का फल

डेस्क: हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व है। पद्म पुराण के अनुसार माघ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला नामक एकादशी कहा गया है। जो बहुत महत्वपूर्ण है। इस बार यह एकादशी 4 फरवरी, गुरुवार को है। जानिए पूजा-विधि और कथा के बारें में।

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: February 03, 2016 18:37 IST
 ekadashi
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तुम्हें मिलने और देखने के लिए देवस्त्रियां आएगी, तुम अपना द्वार खोलने से पहले उनसे षटतिला एकादशी की विधि और उसके महात्म्य के बारे में सुनना तब द्वार खोलना। ब्राह्मणी ने वैसे ही किया। द्वार खोलने से पहले षटतिला एकादशी व्रत के महात्म्य के बारे में पूछा। एक देवस्त्री ने ब्राह्मणी की बात सुनकर उसे षटतिला एकादशी व्रत के महात्म्य के बारे में जानकारी दी। उस जानकारी के बाद ब्राह्मणी ने द्वार खोल दिए। देवस्त्रियों ने देखा कि वह ब्राह्मणी न तो गांधर्वी है और ना ही आसुरी है। वह पहले जैसे मनुष्य रुप में ही थी। अब उस ब्राह्मणी को दान ना देने का पता चला।

अब उस ब्राह्मणी ने देवस्त्री के कहे अनुसार षटतिला एकादशी का व्रत किया। इससे उसके समस्त पापों का नाश हो गया। वह सुंदर तथा रुपवति हो गई। अब उसका घर अन्नादि सभी प्रकार की वस्तुओं से भर गया। इस प्रकार सभी मनुष्यों को लालच का त्याग करना चाहिए। किसी प्रकार का लोभ नहीं करना चाहिए।

षटतिला एकादशी के दिन तिल के साथ अन्य अन्नादि का भी दान करना चाहिए। इससे मनुष्य का सौभाग्य बली होगा। कष्ट तथा दरिद्रता दूर होगी। विधिवत तरीके से व्रत रखने से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होगी।

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