भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस हार का सारा दोष कमलनाथ के सिर मढ़ा गया था। इसके पीछे कारण बताया गया था कि इस बार कांग्रेस आलाकमान ने कमलनाथ को फ्री हैंड दिया था। टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार-प्रसार की सभी रणनीतियां कमलनाथ ने ही बनाई थीं। इसके बाद जब हार मिली तो सारा दोष भी उन्हीं के हिस्से आना था।
प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह ने बताई सच्चाई
चुनाव अपरिणाम आने के बाद खबर आई थी कि आलाकमान ने कमलनाथ से इस्तीफा मांगा है। हालांकि इस खबर की सच्चाई अब सामने आई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह ने बताया है कि कमलनाथ ने तो नैतिकता के आधार पर चुनाव नतीजे आने के बाद अगले दिन ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस खुलासे के बाद उन चर्चाओं पर लगाम लग गया, जिसमें कहा गया था कि आलाकमान ने कमलनाथ से पहले इस्तीफा मांगा था।
कांग्रेस को 230 सीट में से महज 66 सीटें मिली थीं
दरअसल, राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 230 सीट में से महज 66 सीटें मिली। नतीजे आने के अगले दिन से ही लगातार यह चर्चा जोरों पर रही कि कमलनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सोशल मीडिया पर एक पत्र भी वायरल हुआ था, जो कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से संबंधित था। मगर, प्रदेश संगठन ने उसे नकार दिया था। बाद में पार्टी हाई कमान ने कमलनाथ के स्थान पर जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी। राज्य में प्रदेश अध्यक्ष में हुए बदलाव के बाद सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं रही।
'कमलनाथ ने नतीजे आने के अगले दिन ही इस्तीफा दिया था'
चुनाव परिणाम आने के कई दिन बाद जब कमलनाथ भोपाल लौटे और उनसे सोमवार को इस संबंध में पूछा गया तो उनका एक ही जवाब था कि यह बात आप प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह से पूछे। इसके बाद जितेंद्र सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि कमलनाथ ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए चुनाव नतीजे आने के अगले दिन ही इस्तीफा दे दिया था। लेकिन, पार्टी हाईकमान ने उन्हें इस पद पर तब तक बने रहने के लिए कहा, जब तक नई नियुक्ति नहीं हो जाती।