बदलापुर एनकाउंटर मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली कड़ी फटकार के बाद अब महाराष्ट्र पुलिस की सीआईडी केस के पेपर्स को मुंबई क्राइम ब्रांच द्वारा गठित एसआईटी को ट्रांसफर करने को तैयार हो गई है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर एनकाउंटर मामले की जांच स्टेट CID से लेकर मुंबई क्राइम ब्रांच की SIT को 7 अप्रैल को सौंपा था, लेकिन तब से लेकर आज तक ना ही स्टेट CID ने मुंबई क्राइम ब्रांच को केस के पेपर्स ट्रांसफर किए और ना ही मुंबई क्राइम ब्रांच ने उन पेपर्स को हासिल करने की कोई कवायद की। महाराष्ट्र पुलिस की दोनों एजेंसियों के काम करने के तरीके से खफा बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ कंटेंप्ट की प्रोसिडिंग शुरू करने की चेतावनी दी, जिसके बाद स्टेट CID ने अदालत को कहा कि वह शुक्रवार शाम तक केस पेपर्स मुंबई क्राइम ब्रांच की SIT को ट्रांसफर कर देंगे।
कोर्ट में आज हुई सुनवाई
शुक्रवार को जब बॉम्बे हाइकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई तो कोर्ट ने मुंबई क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट कमिश्नर लखमी गौतम को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की दो सदस्यीय पीठ ने ये निर्देश दिया। कोर्ट ने पूछा कि अब तक आरोपी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? कोर्ट ने कहा कि ये अदालत की अवमानना है। बता दें कि ये मामला बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी अक्षय शिंदे का कथित मुठभेड़ का था, जिसमें कोर्ट ने 7 अप्रैल को तुरंत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने ज्वाइंट सीपी को कोर्ट में पेश होने का दिया निर्देश
कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी जांच CID से मुम्बई क्राइम ब्रांच की एसआईटी को हस्तांतरित नहीं किए जाने से कोर्ट नाराज था। कोर्ट ने सवाल किया कि18 दिन बाद भी एफआईआर क्यों नहीं? कोर्ट ने इस दौरान लखमी गौतम को जांच दस्तावेजों के साथ शुक्रवार दोपहर में पेश होने का निर्देश दिया। सरकारी वकील ने बताया कि 7 अप्रैल को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। बॉम्बे हाइकोर्ट ने सरकारी वकील की एक भी दलील नहीं मानी और स्टेट CID के अफसर और मुंबई क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट सीपी को दोपहर में कोर्ट के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया।
न्यायाधीश और वकील के बीच बहस
इसके बाद मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर क्राइम लखमी गौतम राज्य सीआईडी के अधिकारियों के साथ कोर्ट में हाजिर हुए। बेंच ने सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर से पूछा कि उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। वेनेगावकर ने कोर्ट को यह समझाने की कोशिश की कि बेंच के निर्देशानुसार ज्वाइंट कमिश्नर ने मामले में आगे की जांच के लिए अपनी टीम गठित कर दी है। जज रेवती मोहिते डेरे ने आगे कहा, 'टीम गठित करने का क्या फायदा जब उनके पास कागजात ही नहीं हैं।" इसपर सरकारी वकील ने कहा, 'कोई कठिनाई नहीं है। बस हमने आपके आदेश के 2 दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।'
क्या बोले न्यायाधीश?
इसके बाद जज गोखले ने कहा, 'हम आपका अंतहीन इंतजार नहीं कर सकते, सर्वोच्च न्यायालय में प्रक्रियाएं हैं और आप तत्काल सुनवाई की मांग कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि आपने कभी किसी मामले में शीर्ष अदालत के समक्ष तत्काल सुनवाई की मांग नहीं की है। मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि राज्य सीआईडी और लखमी गौतम के खिलाफ हमारे आदेशों का पालन न करने के लिए अवमानना की कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए? इस पर सरकारी वकील ने कहा, 'लखमी गौतम ने उन्हें दिए गए निर्देश के अनुसार टीम का गठन किया है। मैं हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि हमारी एसएलपी पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हो। हमें गुरुवार तक का समय दें।'