Sunday, May 05, 2024
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Maharashtra Political Crisis : उद्धव सरकार गिरेगी या बचेगी? जानें वो 5 अहम प्वाइंट्स, जिन पर टिकीं सबकी निगाहें

Maharashtra Political Crisis उद्धव और शरद पवार आज सरकार बचाने की कोशिशें करने वाले हैं। उधर, बीजेपी और शिंदे के बीच नए समीकरण पर बातचीत शुरू होने की अटकलें लगाई जाने लगी हैं। लोगों के मन में सवाल है कि महाराष्ट्र में अब क्या होगा?

Jayprakash Singh Reported by: Jayprakash Singh @jayprakashindia
Published on: June 22, 2022 12:00 IST
Maharashtra Political Crisis- India TV Hindi
Image Source : PTI Maharashtra Political Crisis

Highlights

  • बहुमत के लिए 144 सदस्यों का समर्थन जरूरी
  • एकनाथ शिंदे ने कहा- मेरे साथ 40 विधायक हैं

Maharashtra Political Crisis : महाराष्ट्र में उद्धव सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं। लगातार यह सवाल अब पूछा जा रहा है और चर्चा में चल रहा है कि कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर चल रही उद्धव सरकार बचेगी या गिरेगी? शिवसेना के बागी नेता और राज्य सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे अपने करीब 30 समर्थक विधायकों को लेकर सूरत में टिके थे लेकिन रातोंरात वे असम के लिए उड़ गए और अब गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं।  आज सुबह गुवाहाटी में उन्होंने दावा किया कि 40 विधायक उनके साथ वहां मौजूद हैं। उद्धव और शरद पवार आज सरकार बचाने की कोशिशें करने वाले हैं। उधर, बीजेपी और शिंदे के बीच नए समीकरण पर बातचीत शुरू होने की अटकलें लगाई जाने लगी हैं। लोगों के मन में सवाल है कि महाराष्ट्र में अब क्या होगा? आइए ऐसे पांच संभावित सीन के बारे में जानते हैं, जो महाराष्ट्र में आगे देखने को मिल सकता है। 

महाराष्ट्र विधानसभा की मौजूदा स्थिति

महाराष्ट्र विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 287 है। 288 में से एक शिवसेना विधायक रमेश लटके का निधन हो गया है--अब बहुमत के लिए 144 सदस्यों का समर्थन जरूरी है। महाविकास अघाड़ी सरकार को अब तक शिवसेना के बागी विधायकों का मिलाकर कुल 169 विधायकों का समर्थन हासिल है। उधर बीजेपी और उनके समर्थकों के पास 113 सदस्य हैं। अगर ऐसे में शिवसेना के बागी 30 और उद्धव सरकार को समर्थन दे रहे 5 निर्दलीय विधायक एक साथ एकनाथ शिंदे के साथ भाजपा को समर्थन देते हैं तो उद्धव सरकार अल्पमत में आ सकती है। 

क्या होगा पहला पिक्चर

शिंदे कैंप को शिवसेना के 37 से ज्यादा विधायकों का समर्थन जुटाना होगा, यह कुल का दो तिहाई होगा जिससे दल विरोधी कानून के तहत बागी अयोग्य न घोषित हों। अगर शिंदे का गुट ये आंकड़े जुटा लेता है और भाजपा को सपोर्ट करने का फैसला करता है या उसके साथ विलय कर लेता है तो महाराष्ट्र में सरकार बदल सकती है। अंदरखाने से आती खबरों में कहा जा रहा है कि उनके पास केवल 12-13 विधायकों का ही समर्थन है, जो ठाणे, रायगढ़ और मुंबई से बाहर के इलाकों के हैं। मुंबई के 13 शिवसेना विधायकों का समर्थन मिलने की उम्मीद नहीं है। हालांकि शिंदे निर्दलीयों समेत 40 विधायकों के सपोर्ट और गुवाहाटी पहुंचे होने का दावा कर रहे हैं।

 शिंदे की बात मान लेगी शिवसेना और...

शिंदे गुट की बगावत के चलते शिवसेना महाविकास अघाड़ी सरकार से हटकर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाए। बागी विधायकों की यह एक प्रमुख मांग है। शिंदे पिछले 24 घंटे में कई बार हिंदुत्व की बात कर चुके हैं। वह शिवसेना को वापस हिंदुत्व की और लौटने की बात कर रहे हैं, जो दशकों से पार्टी की चुनावी रणनीति का आधार रहा है। शिंदे कैंप का मानना है कि कांग्रेस और एनसीपी के साथ सेक्युलर अलायंस करने से शिवसेना की हिंदुत्व वाली छवि कमजोर पड़ी है। ऐसे में नए फॉर्म्युले के तहत सीएम भाजपा से और शिवसेना से डेप्युटी सीएम बनाया जाए जो संभवत: शिंदे हो सकते हैं। 10-12 शिवसेना के मंत्री हो सकते हैं। ऐसी दशा में उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना होगा। 

उद्धव की रणनीति काम करे और...

तीसरी अहम परिस्थिति यह बन सकती है कि शिवसेना नेतृत्व शिंदे और बाकी बागियों को मनाने में कामयाब हो जाए और उन्हें वापस मुंबई लाया जाए। अगर ऐसा होता है तो शिंदे मंत्री बने रहेंगे लेकिन उनके राजनीतिक पर कतरे जा सकते हैं। शिवसेना लीडरशिप उन्हें ठाणे जिले में सीमित कर सकती है। ऐसे में मातोश्री का विश्वास जीतने में शिंदे को कई साल लग सकते हैं। दूसरी संभावना कम ही है कि वापस लौटने पर शिंदे का कद बढ़ाया जाए। 

शिवेसना शिंदे को करेगी आउट

पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए शिवसेना शिंदे को बाहर कर दे और MVA का हिस्सा बनी रहे। शिवसेना यह संदेश देने में कामयाब हो कि शिंदे ने ही बगावत के लिए उकसाया और बाकी विधायक पार्टी में बने रहेंगे। इस केस में, शिंदे आखिर में भाजपा में शामिल हो सकते है और ठाणे में अपना राजनीतिक वर्चस्व हासिल करने के लिए कुछ और सेना के नेताओं को अपनी तरफ लाने की कोशिश कर सकते हैं। वह अगले विधानसभा और 2024 के आम चुनाव की तैयारी में जुट जाएंगे। 

आखिरी सीन

अगर शिंदे और बागी कैंप के बाकी लोग शिवसेना में वापस आने से मना करते हैं तो मॉनसून सत्र तक उन्हें समय काटना होगा। राज्यसभा चुनाव और एमएलसी चुनावों में महाविकास अघाड़ी की हार से निर्दलीयों और छोटी पार्टियों का गठबंधन से मोहभंग लग रहा है। शिंदे कैंप के विधायक इस्तीफा दे सकते हैं। कुछ इसी तरह से कर्नाटक में 2019 में भाजपा के ऑपरेशन लोटस में हुआ था। शिवसेना छोड़ने वाले विधायक भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ेंगे। अगर वे जीतते हैं तो भाजपा सरकार बना लेगी। इसका एक विकल्प यह है कि अगर MVA सरकार विश्वास मत हासिल नहीं कर पाती है और सरकार भंग होती है तो केंद्र राष्ट्रपति शासन लगा सकता है और महाराष्ट्र मध्यावधि चुनाव की तरफ बढ़ जाएगा।

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