Friday, February 28, 2025
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अमेरिकी सेना का तीसरा विमान 112 अप्रवासी भारतीयों को लेकर पहुंचा अमृतसर एयरपोर्ट, लोगों ने सुनाई आपबीती

अमेरिकी सेना का विमान अप्रवासी भारतीयों को लेकर अमृतसर पहुंचा है। ये अमेरिका से अप्रवासी भारतीयों को लेकर आने वाला तीसरा विमान है। इस विमान में 112 अप्रवासी भारतीय थे।

Reported By : Puneet Pareenja Edited By : Amar Deep Published : Feb 16, 2025 22:57 IST, Updated : Feb 16, 2025 23:31 IST
अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचा अमेरिका का तीसरा विमान।
Image Source : PTI अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचा अमेरिका का तीसरा विमान।

अमृतसर: अमेरिका से लगातार भारतीयों को डिपोर्ट किए जाने का सिलसिला जारी है। अमेरिकी सेना के विमान लगातार अमृतसर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में आज रविवार को भी 112 अवैध प्रवासियों को लेकर अमेरिकी सेना का विमान अमृतसर एयरपोर्ट पर पहुंचा है। आज अमेरिका से आए 112 लोगों में से 31 पंजाब से, 44 हरियाणा से, 33 गुजरात से, दो उत्तर प्रदेश से और एक-एक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से हैं। इससे पहले शनिवार रात को भी 116 भारतीयों को लेकर अमेरिकी सेना का विमान शनिवार रात करीब 12 बजे अमृतसर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। इस विमान में पंजाब के 67 युवक पहुंचे थे, जिनमें से कुछ से इंडिया टीवी ने बातचीत की। 

अप्रवासी भारतीयों का कहना है कि उनके साथ अमेरिका में डिटेंशन सेंटर में काफी बुरा व्यवहार किया गया और भारत डिपोर्ट करने के दौरान भी उनके हाथ पैर बेड़ियों से बंधे हुए थे। उनके पेट और कमर के साथ चेन लगाकर उन्हें बांध कर रखा गया। यहां तक कि बाथरूम जाने के दौरान भी उन्हें कॉलर से पकड़ कर ले जाया गया। पूरे रास्ते उन्हें खाने के लिए सिर्फ चिप्स और जूस जैसा एक ड्रिंक दिया गया। इन युवकों ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के बाद उनसे बेहतर व्यवहार किया जाएगा या उन्हें कुछ राहत मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

कॉलर पकड़कर ले गए वॉशरूम

पंजाब के अमृतसर के बंडाला गांव के रहने वाले 23 वर्षीय जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे साथ बहुत बुरा व्यवहार किया गया। बेड़ियों में जकड़ कर अमेरिका से हमें भारत लाया गया। रास्ते में भी बेड़ियां लगा कर रखी गईं, वॉशरूम जाने तक के लिए गाली दी जाती थी। कॉलर पकड़ कर ले जाया जाता था। खाने के लिए पानी और चिप्स के पैकेट दिए गए। 17 सितंबर को मैं मुंबई से गया था 27 नवम्बर को मैंने अमेरिका का बॉर्डर क्रॉस किया था। 13 फरवरी को रात में ही हमें बेड़ियां लगा दी गई थी और जब यहां फ्लाइट उतरने वाली थी उससे पहले बेड़ियां खोल दी गई थी। डोंकी रूट से जब हम गए थे वो बहुत खतरनाक सफर था पनामा रूट से हम गए थे। हमें कहा गया था कि बाय एयर भेजा जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

जितेंद्र सिंह ने बताया कि अमेरिका से जब उनको भारत डिपोर्ट किया जा रहा था तो उनको नहीं बताया गया था कि उन्हें भारत लाया जा रहा है। इस दौरान पूरे रास्ते का सफर बेहद कष्ट भर रहा। विमान में बेड़ियां बांध कर ही उन्हें बाथरूम जाना पड़ता था। साथ ही जब उन्हें 15 दिन अमेरिका के डिटेंशन सेंटर में रखा गया तो वहां पर भी उनके साथ काफी बुरा सलूक किया गया। रात को 12 बजे सफाईकर्मी आ जाते थे और सबको उठाकर कहते थे कि सफाई करनी है और कमरों से बाहर निकाल दिया जाता था जिसकी वजह से वो ठीक से सो भी नहीं पाए। वहां पर खाने के लिए चिप्स, पानी और जूस के अलावा कुछ नहीं दिया गया। जितेंद्र सिंह 40 लाख रुपए का कर्ज उठाकर अमेरिका गए थे और उन्हें एजेंट ने भरोसा दिया था कि उन्हें सही तरीके से अमेरिका भेजा जाएगा लेकिन बाद में डोंकी रूट से अमेरिका भेजा गया।

एजेंटों की लूट का शिकार बना हरप्रीत

वहीं अमृतसर के घनश्यामपुर गांव के रहने वाले 21 वर्षीय हरप्रीत सिंह की कहानी भी काफी दुख भरी है। हरप्रीत सिंह के पिता दिलेर सिंह पिछले करीब 20 सालों से बेड पर हैं और बीमारी की वजह से पैर खराब होने के कारण अपाहिज का जीवन जीने को मजबूर हैं। परिवार को लगा था कि अगर हरप्रीत सिंह अमेरिका पहुंच गया तो वहां पर जाकर परिवार के सपने पूरे कर पाएगा और परिवार की माली हालत भी ठीक होगी। हरप्रीत सिंह को भी एजेंटों ने धोखा दिया और ये कहकर उन्हें पहले इटली भेजा गया कि वहां से सही तरीके से कागज पूरे करके उन्हें अमेरिका भेजा जाएगा लेकिन बाद में ग्वाटेमाला के जंगलों के रास्ते उन्हें मेक्सिको से अमेरिका बॉर्डर पार कराया गया। हरप्रीत सिंह के बीमार पिता दिलेर सिंह और उनकी माता निर्मल कौर के मुताबिक इटली में जब उनका बेटा पहुंचा तो एजेंटों ने उन्हें ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और उनसे 15 से 20 लाख और रूपयों की मांग की। उन्हें कहा गया कि अगर वो पैसे नहीं देंगे तो उनका बेटा न तो वापस लौट पाएगा और ना ही आगे जा पाएगा। 

हरप्रीत के पिता दिलेर सिंह और माता निर्मल कौर ने बताया कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर और हरप्रीत की पत्नी और उसकी माता के गहने बेचकर पैसा इकट्ठा किया और फिर एजेंटों को दिया। हरप्रीत के माता-पिता ने बताया कि जिस एजेंट को उन्होंने पैसा दिया उसने उन्हें अपनी तस्वीर भी नहीं खींचने दी और धोखे में रखा कि उनके बेटे को सही तरीके से अमेरिका भेजा जा रहा है। इटली और ग्वाटेमाला पहुंचकर उनका बेटा बुरी तरह से रास्ते में फंस गया, जिसके पास डोंकी रूट से आगे बढ़ने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं था। हरप्रीत ने बताया कि जब उन्हें अमेरिका से डिपोर्ट किया गया तो उन्हें ये जानकारी नहीं दी गई कि उन्हें वापस भारत भेजा जा रहा है और विमान में बैठने के बाद ही उन्हें पता लगा कि वो इंडिया की और वापिस लौट रहे हैं। 

हरप्रीत के मुताबिक विमान में करीब 24 घंटे का सफर बेहद ही कष्टदायक रहा। वो ठीक से सीट पर बैठ तक नहीं पाए और उन्हें बाथरूम जाने के दौरान भी बेड़ियों से जकड़ कर रखा जाता था। अमेरिका में जब 15 दिन वो डिटेंशन सेंटर में रहे तो वहां पर भी उनके साथ काफी बुरा सलूक किया गया। रात को उनको कई बार नींद में से जगा दिया जाता था कभी सफाई तो कभी किसी अन्य काम की वजह से उन्हें रात में हर घंटे परेशान किया जाता था। हरप्रीत ने बताया कि डिटेंशन सेंटर में उन्हें खाने के लिए सिर्फ चिप्स, जूस और सेब दिया गया। इसके अलावा उन्हें कुछ भी नहीं मिलता था। इसके अलावा जनवरी की कड़कती ठंड में डिटेंशन सेंटर में AC चला कर उन्हें ठंड में रखा जाता था और पहनने के लिए सिर्फ एक लोअर और टी-शर्ट दी गई। 

हरप्रीत ने बताया कि जब वो डिपोर्ट किये जा रहे थे तब उन्हें पाकिस्तान के एक युवक ने बताया कि उन्हें वापिस उनके देश भेजा जा रहा है। हरप्रीत ने कहा कि अब वो कभी भी विदेश जाने के बारे में सोचेंगे भी नहीं। लेकिन सरकार को उन जैसे युवकों के लिए यहां पर रोजगार मुहैया करवाना चाहिए। हरप्रीत ने बताया कि डिटेंशन सेंटर में ना तो उनके बयान लिए गए और सीधा वापस इंडिया डिपोर्ट कर दिया गया। हरप्रीत के मुताबिक जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका पहुंचे वैसे ही उन्हें डिपोर्ट करने की तैयारी शुरू कर दी गई। हरप्रीत ने दावा किया कि विमान में महिलाओं और बच्चों के भी हाथ-पैर बेड़ियों से बांधकर रखे गए थे और सिख युवकों के साथ भी काफी बुरा बर्ताव किया गया और उनकी पगड़ियों का अनादर किया गया और चेकिंग के नाम पर पगड़ियां उतरवा दी गईं।

फिरोजपुर के सौरव ने सुनाई आपबीती

इसी क्रम में अमेरिका द्वारा डिपोर्ट कर वापस भारत भेजे गए 116 भारतीयों में एक फिरोजपुर के चांदी वाला गांव का रहने वाला सौरव नाम का युवक भी शामिल है। सौरव 4 जनवरी को भारत से अमेरिका के लिए रवाना हुआ था। 23 दिन अलग-अलग देशों से होते हुए डोंकी रूट से मैक्सिको के रास्ते वह अमेरिका पहुंचे तो अमेरिकी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखा गया। सौरव ने बताया कि अमेरिका से जब उन्हें भारत डिपोर्ट किया गया तो उनके हाथ-पैर बांध दिए गए थे और रास्ते में उन्हें इस वजह से काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। सौरव ने कहा कि पिता ने कर्ज उठाकर 2 एकड़ जमीन बेचकर 45 लाख रुपए लगाकर अमेरिका के लिए भेजा था। लेकिन एजेंटों ने झूठ बोलकर उसे डोंकी के रास्ते अमेरिका में दाखिल करवाया, जिस वजह से उनके सपने अब चकनाचूर हो चुके हैं। 

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