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राजस्थान में बाल विवाह होने पर पंच-सरपंच होंगे जिम्मेदार, हाई कोर्ट ने सरकार को दिया बड़ा आदेश

राजस्थान में अब बाल विवाह करने वालों की खैर नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी गांव में बाल विवाह होता है तो इसके लिए पंच और सरपंच को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : May 02, 2024 16:19 IST, Updated : May 02, 2024 16:20 IST
 राजस्थान हाई कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : FILE-ANI राजस्थान हाई कोर्ट

 जयपुरः राजस्थान में अक्षय तृतीया से पहले हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राज्य में कोई बाल विवाह नहीं हो। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि बाल विवाह होने पर सरपंच और पंच को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। बाल विवाह की कई घटनाएं मुख्य रूप से अक्षय तृतीया पर होती हैं। अक्षय तृतीया इस बार 10 मई को है।

हाई कोर्ट ने की ये टिप्पणी

हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने बाल विवाह को रोकने के लिए हस्तक्षेप की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को अपने आदेश में कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू होने के बावजूद, राज्य में बाल विवाह अब भी हो रहे हैं। अदालत ने कहा कि हालांकि अधिकारियों के प्रयासों के कारण बाल विवाह की संख्या में कमी आई है, लेकिन अब भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।

खंडपीठ ने मामले पर पैनी नजर रखे सरकार

याचिकाकर्ताओं के वकील आरपी सिंह ने कहा कि अदालत को एक सूची भी उपलब्ध कराई गई जिसमें बाल विवाह और उनकी निर्धारित तिथियों का विवरण था। खंडपीठ ने कहा कि राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 के अनुसार, बाल विवाह को प्रतिबंधित करने का कर्तव्य सरपंच पर डाला गया है। इस प्रकार, एक अंतरिम उपाय के रूप में, हम राज्य को निर्देश देंगे कि वह राज्य में होने वाले बाल विवाह को रोकने के लिए की गई जांच के संबंध में रिपोर्ट मांगे और उस सूची पर भी पैनी नजर रखे जो जनहित याचिका के साथ संलग्न है।

सरपंच और पंच को ठहराया जाएगा जिम्मेदार

आदेश में कहा गया है, ‘‘उत्तरदाताओं को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य में कोई बाल विवाह नहीं हो। सरपंच और पंच को संवेदनशील बनाया जाना चाहिए और उन्हें सूचित किया जाना चाहिए कि यदि वे बाल विवाह को रोकने में विफल रहते हैं, तो बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की धारा 11 के तहत उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

इनपुट-भाषा 

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