Thursday, May 02, 2024
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Lok Sabha Elections 2024: चुरू में पैरालंपियन देवेंद्र झाझरिया की अग्नि परीक्षा, कस्वां परिवार की 33 साल पुरानी की सांसदी पर लगाएंगे ब्रेक?

Hot seats in Lok Sabha Elections 2024: चुरू संसदीय क्षेत्र में पहले फेज में 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। बीजेपी बीते 33 साल से इस पर कस्वां परिवार को ही टिकट दे रही थी लेकिन इस बार उन्होंने पैरालंपिक खेलों में 2 बार गोल्ड मेडल जीतने वाले देवेंद्र झाझरिया पर भरोसा जताया है। उनका मुकाबला कांग्रेस के राहुल कस्वां से हैं।

Khushbu Rawal Written By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: April 16, 2024 14:24 IST
devendra jhajharia vs rahul kaswan- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV चुरू लोकसभा सीट पर देवेंद्र झाझरिया और राहुल कस्वां के बीच मुकाबला

Lok Sabha Elections 2024: देश में सात चरणों में लोकसभा के चुनाव होंगे। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। सात चरणों में लोकसभा के चुनाव होंगे। वहीं, राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों के लिए दो चरणों में वोट डाले जाएंगे। पहले चरण यानी 19 अप्रैल को राजस्थान की 12 सीटों पर मतदान होगा और बाकी 13 सीटों पर दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को मतदान होगा। सूबे की हॉट सीट चुरू संसदीय क्षेत्र में पहले फेज में 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। पहले फेज में प्रदेश की 12 पर वोटिंग होनी है, जिनमें गंगानगर, बीकानेर, झुंझुनूं, सीकर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर, अलवर, भरतपुर, करौली-धौलपुर, दौसा और नागौर शामिल है। चुरू लोकसभा सीट में 8 विधानसभाएं आती हैं, जिसमें चुरू जिले की 6-सादुलपुर, तारानगर, सुजानगढ़, सरदारशहर, चूरू, रतनगढ़ और हनुमानगढ़ जिले की 2 सीट-नोहर और भादरा शामिल हैं।

बीजेपी बीते 33 साल से इस पर कस्वां परिवार को ही टिकट दे रही थी लेकिन इस बार उन्होंने पैरालंपिक खेलों में 2 बार गोल्ड मेडल जीतने वाले देवेंद्र झाझरिया पर भरोसा जताया है।

कौन है देवेंद्र झाझरिया?

42 साल के देवेंद्र झाझरिया खेल जगत का एक जाना-पहचाना नाम हैं और वह पैरा भाला फेंक एथलीट (जैवलिन थ्रोअर) रह चुके हैं। उनका जन्म चुरू में हुआ था और अब वह थार रेगिस्तान के प्रवेश द्वार के तौर पर जाने जाने वाले चूरू से ही अपनी राजनीति पारी का भी आगाज करेंगे। झाझरिया ने महज 8 साल की उम्र में एक पेड़ पर चढ़ते समय बिजली के तार के संपर्क में आने के बाद अपना बायां हाथ गंवा दिया था, लेकिन इसके बावजूद उनके हौसले में कोई कमी नहीं आई। झाझरिया को खेल के दौरान भी कई मुश्किलों से गुजरना पड़ा। उनको जब अपने पिता के कैंसर से ग्रसित होने का पता चला तो उन्होंने एक समय खेल को अलविदा कहने का मन बना लिया था। लेकिन उनके पिता राम सिंह ने हालांकि उन्हें खेल पर ध्यान देने की सलाह दी थी। पिता की बात मानते हुए झाझरिया ने खेल पर ध्यान देना शुरू किया। खेल की वजह से वह आखिरी लम्हों में अपने पिता के साथ नहीं रह सके। वह 2020 में राष्ट्रीय स्तर की एक प्रतियोगिता के दौरान  पदक जीतने के बाद पिता की याद में भावुक हो गए थे।

मेजर ध्यानचंद खेल रत्न, पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित

झाझरिया ने इससे पहले पैरालंपिक से उनके वर्ग की स्पर्धा को हटाने के बाद भी  खेल को अलविदा कहने का मन बनाया था। एफ46 भाला फेंक 2008 और 2012 पैरालंपिक का हिस्सा नहीं था। देवेंद्र झाझरिया की पत्नी और राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी खिलाड़ी मंजू ने उन्हें खेल जारी रखने का हौसला दिया। इसके बाद कोच रिपु दमन सिंह ने उन्हें अपने कौशल में सुधार करने में काफी मदद की। राजनीति में प्रवेश करने के अपने फैसले के साथ वह एक और बड़ा  लक्ष्य हासिल करना चाहेंगे। द्रेवेंद्र झाझरिया को 2012 में पद्म श्री से सम्मानित किया था, तब पहली बार किसी पैरा-एथलीट को ये सम्मान मिला। उन्हें 2017 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और 2022 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।

राहुल कस्वां से देवेंद्र झाझरिया का मुकाबला  

वहीं, मौजूदा सांसद राहुल कस्‍वां बीजेपी छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। चार बार पिता रामसिंह कस्‍वां और दो बार खुद राहुल कस्‍वां चूरू से सांसद रहे हैं। कस्‍वां परिवार की 33 साल पुरानी सांसदी लोकसभा चुनाव 2024 में बच पाना मुश्किल है, क्‍योंकि बीजेपी के दिग्‍गज नेता राजेंद्र राठौड़ और राहुल कस्‍वां की सियासी लड़ाई में कस्‍वां का टिकट तक कट गया।

कौन हैं राहुल कस्वां?

राहुल कस्वां का जन्म 20 जनवरी 1977 को चूरू जिले के सादुलपुर में हुआ। इनका पैतृक गांव कालरी है। प्रारम्भिक शिक्षा बिड़ला पब्लिक स्कूल पिलानी में हुई, जहां हॉस्टल में रहकर इन्होंने 1996 में 12वीं तक पढाई पूरी की। बिड़ला पिलानी में सहपाठी आज भी इनके सर्म्पक में हैं। साल 1999 में राहुल ने दिल्ली विश्वविद्यालय से वाणिज्य संकाय से स्नातक किया। साल 2001 में राहुल कस्वां ने दिल्ली के नेशनल इंस्टीटयूट आफ सेल्स से मैनेजमेन्ट में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। वर्ष 2000 में राहुल कस्वां का विवाह जयपुर के व्यवसायी कुलदीप धनखड़ की पुत्री नीलू के साथ हुआ। पत्नी नीलू कस्वां गुडगांव में निजी कम्पनी में जॉब करती हैं। राहुल कस्वां के दो सन्तान है। रोनित और रेवान्त। बड़ा बेटा रोनित 14 साल का है।

चुरू सीट का चुनावी इतिहास

राजस्थान का चुरू लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत की चुनावी राजनीति में अपने महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चुरू लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ रही है। 1977 से 2014 तक हुए 11 चुनावों में भाजपा ने 5 बार तो कांग्रेस ने केवल 3 बार यहां से जीत दर्ज की है। पिछले चार चुनाव यानी साल 1999 से यहां भाजपा ने लगातार जीत दर्ज की। 2019 के चुनावों में, यहां बहुत मजेदार चुनावी मुकाबला देखने को मिला था। बीजेपी के प्रत्याशी राहुल कस्वां ने पिछले चुनाव में 3,34,402 मतों के अंतर से जीत दर्ज़ की थी। उन्हें 7,92,999 वोट मिले थे। राहुल कस्वां ने कांग्रेस के उम्मीदवार राफिक मंडेलिया को हराया था जिन्हें 4,58,597 वोट मिले थे।

चुरू की जनसांख्यिकी विविधताओं से भरी है और चुनावी नजरिए से यह राजस्थान के लोकसभा क्षेत्रों में रोचक और अहम है। इस निर्वाचन क्षेत्र में विगत 2019 के लोक सभा चुनाव में 65.65% मतदान हुआ था। इस बार यानी कि 2024 में मतदाताओं में खासा उत्साह है और वे लोकतंत्र में वोटों की ताकत दिखाने को और ज़्यादा जागरुक और तैयार हैं।

सात चरणों में होंगे लोकसभा चुनाव

बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव सात चरणों में होंगे। पहले चरण के लिए 19 अप्रैल (102 सीट), दूसरे चरण के लिए 26 अप्रैल (89 सीट), तीसरे चरण के लिए 7 मई (94 सीट), चौथे चरण के लिए 13 मई (96 सीट), पांचवें चरण के लिए 20 मई (49 सीट), छठा चरण के लिए 25 मई (57 सीट) और सातवें चरण के लिए 1 जून को (57 सीट) वोट डाले जाएंगे।

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