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अधिकमास को क्यों कहा जाता है पुरुषोत्तम मास? कितने साल बाद लगता है मलमास, यहां जानें पूरी डिटेल्स

Adhikmaas 2023: मलमास के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य करना वर्जित माना गया है। इस दौरान बस भगवान की पूजा फलदायी मानी जाती है। वहीं मलमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। आइए जानते हैं मलमास के बारे में।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Published : Jul 07, 2023 06:04 pm IST, Updated : Jul 07, 2023 06:04 pm IST
Malmas 2023- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Malmas 2023

Malmas 2023 Start Date: 18 जुलाई से मलमास शुरू हो रहा है। हिंदू धर्म में इस माह का विशेष महत्व है। कहते हैं कि मलमास के दौरान भगवान की पूजा-अर्चना करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। लेकिन मलमास में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे-शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे काम नहीं किए जाते हैं। आपको बता दें कि मलमास को अधिक मास और पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। तो आइए जानते हैं इस मलमास से जुड़ी अहम बातों के बारें में। 

मलमास को पुरुषोत्तम मास क्यों कहा जाता है?

उल्लेख मिलता है कि इस महीने का अपना कोई स्वामी नहीं है । इसलिए देव- पितर आदि की पूजा और मंगल कार्यों के लिए यह महीना त्याज्य माना जाता था, लेकिन निन्दित माने जाने वाले इस महीने की व्यथा देखकर भगवान पुरुषोत्तम ने स्वयं इसे अपना नाम देकर कहा है कि अब मैं इस महीने का स्वामी हो गया हूं। अहमेते यथा लोके प्रथितः पुरुषोत्तमः। तथायमपि लोकेषु प्रथितः पुरुषोत्तमः।। जिस प्रकार मैं इस लोक में 'पुरुषोत्तम' नाम से विख्यात हूं, उसी प्रकार यह मलमास भी इस लोक में 'पुरुषोत्तम' नाम से प्रसिद्ध होगा। यह महीना बाकी सब महीनों का अधिकारी होगा और इसे सम्पूर्ण विश्व में पवित्र माना जाएगा।

मलमास कब आता है?

दरअसल, हर वर्ष होने वाले समय के अंतर के कारण अधिक मास आता है। हिंदू पंचांग में महीनों की गणना सूर्य और चंद्रमा की गति के आधार पर की जाती है। चंद्रमा की कलाओं के आधार पर चंद्रमास और सूर्य के एक राशि में परिभ्रमण के समयकाल को सौरमास कहा जाता है । इस प्रकार गणना करने पर एक चंद्र वर्ष लगभग 354 दिन 22 घड़ी 1 पल का होता है और एक सौरवर्ष 365 दिन 15 घड़ी 22 पल का होता है।

इस प्रकार हर वर्ष लगभग 11 दिन का फर्क आता है। यह समय अंतराल क्षय होते-होते तीन वर्षों में लगभग 32 दिन का हो जाता है। इसी समय अंतराल को बराबर करने के लिए सनातन पंचांग में हर तीसरे साल एक महीना बढ़ा दिया जाता है और इसी महीने को अधिक मास या मलमास के नाम से जाना जाता है। इस बार अधिक मास श्रावण महीने में पड़ा है, लेकिन ये जरूरी नहीं है कि हर बार अधिक मास श्रावण महीने में ही पड़े। यह किसी भी महीने में पड़ सकता है।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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