द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने शनिवार को कहा कि केंद्र की सरकार एक भी राज्य की अनदेखी नहीं कर सकती और अब केवल हिंदी भाषी राज्य भारत नहीं हैं।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) के प्रस्तावित वैकल्पिक मोर्चे में DMK को शामिल करने की कोशिशों को सोमवार को करारा झटका लगा है।
तमिलनाडु की दोनों प्रमुख पार्टियों में एक-दूसरे के दिवंगत नेताओं को लेकर सियासत में उबाल आया हुआ है।
द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन ने कहा कि लोग यह नहीं भूलेंगे कि ऐसा मोदी के शासन में हुआ कि तमिलनाडु के अधिकार ‘‘छीन’’ लिये गए। ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में आए चुनाव परिणामों का जिक्र करते हुए द्रमुक प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस ने उन राज्यों में जीत दर्ज की जिन्हें भाजपा का गढ़ समझा जाता था और यह मोदी के लिए एक झटका था।
द्रमुक प्रमुख एम. के. स्टालिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने संबंधी अपने बयान पर कायम हैं।
द्रमुक के अध्यक्ष एम के स्टालिन ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की पुरजोर वकालत की।
येचुरी ने स्टालिन के साथ अपनी मुलाकात को फलदायी बताया और दोनों की मुलाकात का बुनियादी एजेंडा देश की सभी देशभक्त धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट करना था, ताकि भारत को भाजपा के हमले से बचाया जा सके।
अलागिरी, करूणानिधि की मौत के बाद से यह दावा करते रहे है कि पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता उनके साथ हैं। उन्होंने कहा था कि रैली के बाद द्रमुक को खतरे का सामना करना पड़ेगा।
स्टालिन ने कहा है कि द्रमुक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली जन विरोधी केंद्र सरकार को हराना चाहती है और तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक को भी हराना चाहती है।
सैकड़ों पार्टी प्रतिनिधियों के बीच स्टालिन ने कहा, हम उस किसी भी पार्टी का विरोध करेंगे, जो एक भाषा का प्रभुत्व चाहती है।
वर्षो तक भावी युवराज ही बने रहे एम. के. स्टालिन को आखिरकार द्रमुक का राजा चुन लिया गया है। दिवंगत द्रमुक नेता एम. करुणानिधि के पुत्र और उनके वास्तविक राजनीतिक वारिस एम. के. स्टालिन का मंगलवार को द्रमुक पद चयन हुआ।
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