Saturday, April 27, 2024
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गोमांस ले जाने के आरोप में जब्त हुई थी मोटरसाइकिल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनाया ये बड़ा फैसला

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस कानून के संदर्भ में परिवहन पर प्रतिबंध केवल गाय, बैल या सांड़ के परिवहन पर लागू होता है और वह भी प्रदेश से बाहर किसी स्थान से यूपी के भीतर किसी स्थान पर।

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published on: November 24, 2023 7:10 IST
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Image Source : PTI FILE इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गोमांस के परिवहन को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है।

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि उत्तर प्रदेश गोहत्या निषेध कानून और इसके नियम गोमांस के परिवहन पर लागू नहीं होते। जस्टिस पंकज भाटिया की बेंच द्वारा यह टिप्पणी वसीम अहमद नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करते हुए की गई। वसीम अहमद ने फतेहपुर के जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी। गोमांस के परिवहन के आरोप में वसीम की मोटरसाइकिल जब्त कर ली गई थी।

‘प्रतिबंध केवल गाय, बैल या सांड़ के परिवहन पर लागू’

जिला मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा था कि उन्हें फतेहपुर के पुलिस अधीक्षक से एक रिपोर्ट मिली थी जिसमें आरोप था कि वसीम की मोटरसाइकिल का इस्तेमाल गोमांस के परिवहन में किया गया था और चूंकि वसीम इस आरोप को गलत साबित करने के लिए साक्ष्य उपलब्ध कराने में विफल रहे, इसलिए मोटरसाइकिल जब्त कर ली गई। याचिकाकर्ता के वकील और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा,‘इस कानून के संदर्भ में परिवहन पर प्रतिबंध केवल गाय, बैल या सांड़ के परिवहन पर लागू होता है और वह भी प्रदेश से बाहर किसी स्थान से उत्तर प्रदेश के भीतर किसी स्थान पर।’

गोमांस के परिवहन पर कोई प्रतिबंध नहीं है: अदालत

कोर्ट ने कहा,‘इस कानून या नियमों में यहां तक कि इस प्रदेश से बाहर किसी स्थान से इस प्रदेश के भीतर किसी स्थान पर गोमांस के परिवहन पर कोई प्रतिबंध नहीं है। मौजूदा मामले में इस प्रदेश में दो स्थानों के भीतर एक वाहन पर गोमांस का कथित परिवहन का ना तो निषेध है और ना ही विनियमित है। इसलिए इस कानून के प्रावधानों का उल्लंघन कर परिवहन के आरोप में जब्तीकरण का आधार प्रथम दृष्टया सिद्ध नहीं होता। मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि जब्तीकरण के अधिकार का उपयोग बिना किसी कानूनी अधिकार और कानून की धारा 5ए (7) की गलत व्याख्या कर किया गया और इस कारण से जब्तीकरण का आदेश सही नहीं है और यह रद्द किए जाने योग्य है।’ (भाषा)

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