40 Minute Viral Video: सोशल मीडिया पर बीते कुछ समय से 19 minute 34 second viral video ट्रेंड चल रहा था। इसके कॉन्ट्रोवर्सी के बाद से ही इंटरनेट पर फेक की—वर्ड्स और लिंक्स की लहर सी उठ गई है। ऐसे सनसनीखेज टाइटल आपको भी सोशल मीडिया या इंटरनेट ब्राउजर पर काफी ट्रेंड करते हुए मिल जाएंगे। ऐसे टाइटल कोई असली वीडियो या ट्रेंड कम बल्कि अफवाहजनक और क्लिकबेट ज्यादा लगते हैं। फिलहाल ऑनलाइन प्रसारित होने वाला कोई भी 40 मिनट का पुष्ट या प्रमाणित वीडियो मौजूद नहीं है। इसके बजाय 40 Minute Viral Video Link केवल एक सर्च टर्म के रूप में उभरा है, जिसे सोशल मीडिया पर चर्चा, स्पैम लिंक और गलत सूचनाओं ने और भी ज्यादा वायरल कर दिया है।
गूगल ट्रेंड में हाई सच
गूगल सर्च ट्रेंड्स में 40 Minute Viral Video वाक्यांश की पॉपुलैरिटी में भी अचानक वृद्धि देखी गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि देश के कई बड़े—छोटे हिस्सों से लोग इस फेक ट्रेंड के शिकार हो रहे हैं।

कैसे शुरू हुआ 40 Minute Viral Video ट्रेंड
सोशल मीडिया की दुनिया में पिछले कुछ हफ्तों से 19 minute 34 second ka viral video नामक ट्रेंड चल रहा था। ये कॉन्ट्रोवर्सी एक कथित लीक हुए निजी वीडियो क्लिप से जुड़ी थी। सोशल मीडिया पर '19 मिनट' कीवर्ड का बढ़ता उपयोग देख साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसकी काफी आलोचना की और फिर इसके बाद से ही मिलते-जुलते कीवर्ड्स और सर्च टर्म वायरल होने लगे। 40 Minute Viral Video एक ऐसा ही विकल्प बनकर उभरा जिसे लेकर दावा किया गया कि उक्त क्लिकबेट पोस्ट से यूजर उस लीक हुए पूरे वीडियो तक पहुंच जाएंगे। धीरे—धीरे ये कीवर्ड इतना वायरल हो गया कि लोग इसे खूब सर्च करने लगे।
क्या सचमुच ऐसा कोई वीडियो है ?
आपको बता दें कि, '40 Minute Viral Video' किसी एक क्लिप से जुड़ा नहीं है। बल्कि यह असंबंधित वीडियो, भ्रामक थंबनेल और अस्पष्ट दावों का मिश्रण है जो ऑनलाइन एक ही कहानी के रूप में सामने आए हैं। चूंकि यूजर्स को यह नहीं पता कि वीडियो में क्या है, इसलिए वे जवाब खोजने के लिए बेतरतीब लिंक पर क्लिक करने की अधिक संभावना रखते हैं, जिससे यह चलन विशेष रूप से जोखिम भरा हो जाता है।
लिंक पर क्लिक किया तो होगा नुकसान
विशेषज्ञों की मानें तो इन लिंक्स पर क्लिक करने वाले यूजर्स फेक वेबसाइट्स पर रीडायरेक्ट हो सकते हैं। ये लॉगिन क्रेडेंशियल्स चुराने के लिए डिजाइन की जाती हैं, मैलवेयर से करप्ट डाउनलोड्स जो फोन या कंप्यूटर को नुकसान पहुंचा सकते हैं, या विज्ञापन से भरी ऐसी वेबसाइटों पर जा सकते हैं जो आक्रामक पॉप-अप के जरिए रेवेन्यू जनरेट करती हैं।

जानकारों की मानें
हरियाणा एनसीबी साइबर सेल के अधिकारी अमित यादव ने स्पष्ट किया था कि, यह क्लिप आर्टिफिशियल इटेलीजेंस का उपयोग करके बनाई गई थी और यूजर्स को इस तरह के कंटेंट से जुड़ने के कानूनी परिणामों के बारे में चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो कोई भी ऐसे वीडियो देखता है, सेव या साझा करता है उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 67, 67ए और 66 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप 2 लाख रुपये तक का जुर्माना या तीन साल तक की कैद हो सकती है। उन्होंने यूजर्स को सलाह दी कि वे तथाकथित लीक कंटेंट को खोजने या साझा करने से पूरी तरह बचें।
डिस्क्लेमर: इस खबर में दी गई जानकारी सोशल मीडिया और रिपोर्ट्स में किए गए दावों पर आधारित है। इंडिया टीवी किसी भी प्रकार के दावे की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।
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