पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एक स्टेडियम में फुटबॉल के दिग्गज खिलाड़ी लियोनल मेस्सी को लेकर काफी तोड़फोड़ हुई। विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस को पत्र लिखा है। बीजेपी नेता ने लियोनेल मेस्सी के कार्यक्रम के दौरान सॉल्ट लेक स्टेडियम में हुई प्रशासनिक अक्षमता और नागरिकों के सार्वजनिक अपमान की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है।
राजनीतिक लोगों के लिए निजी दरबार में बदला कार्यक्रम
बीजेपी नेता अधिकारी ने अपने पत्र में शनिवार को आरोप लगाया कि सार्वजनिक धन से बनाए गए स्टेडियम को राजनीतिक लोगों के लिए निजी दरबार में बदल दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप टिकट खरीदने वाले दर्शकों का अपमान और उत्पीड़न हुआ।
सुवेंदु ने गहरी पीड़ा में राज्यपाल को लिखा पत्र
अधिकारी ने कहा, 'मैं यह पत्र गहरी पीड़ा, संवैधानिक चिंता और नैतिक तत्परता की भावना से लिख रहा हूं। स्टेडियम में जो कुछ हुआ, वह केवल प्रशासनिक अक्षमता का मामला नहीं था, बल्कि यह नागरिकों का सार्वजनिक अपमान, बेलगाम राजनीतिक विशेषाधिकार का घिनौना प्रदर्शन और हजारों गवाहों की उपस्थिति में कानून के शासन पर सीधा हमला था।'
मेसी को देखने के लिए उतावले हुए दर्शक
उन्होंने दावा किया कि वीआईपी की अनियंत्रित उपस्थिति, दर्शकों के देखने में बाधा और मनमानी पाबंदियों के कारण फुटबॉल प्रशंसकों को बुनियादी सुविधाओं और सम्मानजनक दृश्य-दर्शन से वंचित किया गया। शनिवार को सॉल्ट लेक स्टेडियम में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब मेस्सी की एक झलक न देख पाने पर दर्शकों ने तोड़फोड़ की। उन्होंने आयोजकों की घोर कुप्रबंधन और वीआईपी द्वारा दर्शकों के देखने में बाधा डालने का आरोप लगाया।
मुख्य आयोजक हुआ गिरफ्तार
पुलिस ने आयोजन के मुख्य आयोजक सताद्रु दत्ता को गिरफ्तार कर लिया, जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति के गठन की घोषणा की। अधिकारी ने अपने पत्र में खेल विभाग, पुलिस अधिकारियों और खेल एवं युवा मामलों के प्रभारी मंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि यह स्थिति राज्य प्रशासन द्वारा सुनियोजित न भी हो तो भी, बढ़ावा देने के कारण उत्पन्न हुई थी।
अधिकारी ने जांच समिति पर भी उठाए सवाल
उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों का आचरण सार्वजनिक जवाबदेही के प्रति उदासीनता और सत्ता के दुरुपयोग को दर्शाता है। बीजेपी नेता ने मुख्यमंत्री द्वारा घोषित जांच समिति पर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि इसमें स्वतंत्रता और विश्वसनीयता का अभाव है। अधिकारी ने कहा कि इस समिति की अध्यक्षता रिटायर्ड न्यायमूर्ति असीम राय कर रहे हैं, जो वर्तमान में राज्य सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक वैधानिक पद पर हैं और इसमें वरिष्ठ नौकरशाह शामिल हैं जिनके कार्यों की जांच चल रही है।