Saturday, April 27, 2024
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Salman Rushdie: "द सैटेनिक वर्सेज", क्यों रुश्दी का 'काल' बनी ये किताब? दुनिया के भड़कते ही 9 साल तक रहे अंडरग्राउंड, 34 साल से जारी है मौत का फतवा

Salman Rushdi-The Satanic Verses: विवादास्पद लेखक 1981 में अपनी दूसरी किताब "मिडनाइट्स चिल्ड्रन" के साथ सुर्खियों में आए। इस किताब में स्वतंत्रता के बाद के भारत के बारे में बताया गया है। जिसकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हुई, साथ ही उन्हें ब्रिटेन का प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार मिला।

Shilpa Written By: Shilpa
Updated on: August 13, 2022 16:37 IST
Salman Rushdi-The Satanic Verses- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Salman Rushdi-The Satanic Verses

Highlights

  • सलमान रुश्दी ने 1981 में बुकर पुरस्कार जीता
  • 34 साल पहले ईरान ने जारी किया था फतवा
  • मौत की धमकियों से बचने के लिए छिपे रहे रुश्दी

Salman Rushdi-The Satanic Verses: ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी को अपने लेखन की वजह से न केवल ईरान से जान से मारने की धमकी मिलीं, बल्कि उनपर कई बार पहले भी हमले की कोशिश हुई। ताजा मामला अमेरिका के न्यूयॉर्क का है, जहां चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में मंच पर उनकी गर्दन पर चाकू घोंपा गया। अब वह वेंटिलेटर पर हैं और उनकी एक आंख खोने की आशंका है। ‘चाकू से हमले’ के बाद उनका लीवर भी क्षतिग्रस्त हो गया। उनके एजेंट ने यह जानकारी दी और कहा कि ‘खबर अच्छी नहीं है’। मुंबई में जन्मे ब्रिटिश लेखक बुकर पुरस्कार विजेता रहे हैं, उन्होंने 1981 में आई किताब "मिडनाइट्स चिल्ड्रन" से ख्याती प्राप्त की। लेकिन उन्हें "द सैटेनिक वर्सेज" के बाद विश्व स्तर पर जाना जाने लगा।

 
स्पॉटलाइट में खूब रहे रुश्दी

विवादास्पद लेखक 1981 में अपनी दूसरी किताब "मिडनाइट्स चिल्ड्रन" के साथ सुर्खियों में आए। इस किताब में स्वतंत्रता के बाद के भारत के बारे में बताया गया है। जिसकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हुई, साथ ही उन्हें ब्रिटेन का प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार मिला। बुकर पुरस्कार जीतने के अलावा, मिडनाइट्स चिल्ड्रन को 2008 में बुकर पुरस्कार का अब तक का सर्वश्रेष्ठ विजेता माना गया। मिडनाइट्स चिल्ड्रन, एक आत्मकथा है जो आधी रात को पैदा हुए एक जादुई बच्चे पर आधारित है और भारत की आजादी के बाद के इतिहास को बताती है।

सलमान रुश्दी का जन्म भारत में एक ऐसे मुस्लिम परिवार में हुआ, जो धर्म का पालन नहीं करता। आज उनकी पहचान एक नास्तिक के रूप में होती है। उन्हें मजबूरन अंडरग्राउंड होना पड़ा था। क्योंकि उनके सिर पर ईनाम रखा गया था, जो आज भी है। दरअसल रुश्दी की एक किताब को ईरान में प्रतिबंधित किया गया था। इसी दौरान वहां के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रुहोल्ला खामनेई ने रुशदी के खिलाफ 1989 में फतवा जारी किया था। रुश्दी को मारने वाले के लिए 3 मिलियन डॉलर ईनाम रखा गया। 

Salman Rushdie Marriages

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हिंसक प्रदर्शन

सलमान रुश्दी की चौथी किताब  ‘द सैटेनिक वर्सेज’ को कई मुस्लिमों ने ईशनिंदा बताया। जो कहानी के एक कैरेक्टर को पैगंबर मुहम्मद के अपमान के रूप में देखते हैं। 1988 में किताब के प्रकाशित होने के बाद रुश्दी के खिलाफ दुनिया भर में विरोध प्रदर्शन हुए। मुंबई में एक विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें रुश्दी के गृहनगर मुंबई में 12 लोगों की मौत हो गई।

मौत का फतवा

14 फरवरी, 1989 को खामनेई ने उनके खिलाफ ‘द सैटेनिक वर्सेज’ लिखने के लिए मौत का फतवा जारी किया। मौलवी ने कहा कि किताब से इस्लाम का अपमान हुआ है। एक फतवे, या धार्मिक फरमान में, खामनेई ने "दुनिया के मुसलमानों से किताब के लेखक और प्रकाशकों को जल्दी से फांसी देने का आग्रह किया" ताकि "कोई भी अब इस्लाम के पवित्र मूल्यों को ठेस पहुंचाने की हिम्मत नहीं करे।" उस वक्त 89 साल के खामनेई ने जब ये बातें कहीं, उसके चार महीने बाद ही उनकी मौत हो गई। हालांकि उनके फतवे के बाद दुनिया में कूटनीतिक संकट उत्पन्न हो गया। दुनियाभर में किताब को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते 59 लोगों की मौत हो गई। इनमें किताब के ट्रांसलेटर भी शामिल हैं। जान से मारे जाने की धमकियों के चलते रुश्दी को 9 साल तक छिपकर रहना पड़ा था। 

खामनेई ने ये भी कहा था कि अगर कोई रुश्दी को मारने की कोशिश के चलते मौत की सजा पाता है, तो उसे शहीद माना जाएगा। रुश्दी को ब्रिटेन में नौ साल तक पुलिस सुरक्षा में रखा गया और इसके परिणामस्वरूप ईरान और ब्रिटेन के बीच राजनयिक संबंध टूट गया। लेकिन ईरान के वर्तमान सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कभी भी अपने खुद से फतवा जारी नहीं किया। न ही पुराने फतवे को वापस लिया है। हाल के वर्षों में ईरान ने लेखक पर ध्यान ही नहीं दिया है।

साल 2012 में न्यूयॉर्क में एक बातचीत के दौरान रुश्दी ने कहा था कि आतंकवाद वास्तव में भय की कला है। उन्होंने कथित तौर पर कहा था, "डरने से बचने का फैसला करके आप इसे हरा सकते हैं।" उन्होंने लगभग एक दशक तक छिपने, बार-बार घरों को बदलने में बिताया, और वह अपने बच्चों को यह बताने में असमर्थ रहे कि वे कहां रहते हैं।

जान से मारने की पहली कोशिश

अगस्त 1989 में, सेंट्रल लंदन के एक होटल में लेबनान के एक व्यक्ति मुस्तफा मजेह ने बम लगाया था। हालांकि जब मजेह बम को लगा रहा था, उसी वक्त उसमें विस्फोट हो गया। इस घटना में मजेह की ही मौत हो गई। 
 
ट्रांसलेटरों पर हमला, एक की मौत

खामनेई के फतवे के बाद सलमान रुशदी से नफरत करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ती चली गई। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाला संगठन द इंडेक्स ऑफ सेंसरशिप के अनुसार, हाल ही में 2016 में उनकी हत्या के बदले ईनाम देने के लिए पैसा जुटाया गया था। हालांकि हालिया घटना तक रुश्दी खुद को बचाने में कामयाब रहे थे, लेकिन उनकी विवादित किताब के जापानी ट्रांसलेटर हितोशी इगारशी की 1991 में चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी।

1991 में एक और चाकू मारने की घटना में इतालवी ट्रांसलेटर एटोर कैप्रियोलो भी गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि नॉर्वे के प्रकाशक विलियम न्यागार्ड को 1993 में तीन बार गोली मारी गई थी लेकिन वह बच गए।

salman rushdie marriages

Image Source : INDIA TV
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शादी को लेकर विवादों में रहे

सलमान रुश्दी ने चार शादियां की हैं और सभी पत्नियों से तलाक हो गया। उनकी चौथी और आखिरी शादी भारतीय-अमेरिकी मॉडल और लेखिका पद्मा लक्ष्मी से हुई थी, हालांकि शादी के तीन साल बाद 2007 में दोनों अलग हो गए। इस शादी के वक्त रुश्दी 51 और लक्ष्मी 28 साल की थीं। लक्ष्मी ने अपने संस्मरण में लिखा है कि कैसे लेखक के साथ फिजिकल रिलेशनशिप बेहद दर्दनाक रहा, वह यौन जरूरतमंद थे और समझदार पति नहीं थे।

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