बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं को स्वरोजगार के लिए दी गई 10,000 की प्रोत्साहन राशि को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। दरअसल, यह राशि बड़ी संख्या में पुरुषों के बैंक खातों में चली गई थी, जिसे अब विभाग वापस मांग रहा है। दरभंगा जिले के जाले विधानसभा क्षेत्र के अहियारी गांव में ऐसे कई पुरुष लाभार्थियों को जीविका (BPIU) द्वारा पैसा लौटाने का पत्र जारी किया गया है, जिससे हड़कंप मच गया।
यह मामला तब सामने आया जब जाले प्रखंड के जीविका के BPIU (प्रखंड परियोजना प्रबंधक) ने कई खाताधारकों को पत्र जारी कर गलती से भेजी गई ₹10,000 की राशि लौटाने का आदेश दिया। यह राशि केवल जीविका से जुड़ी महिलाओं के लिए थी, लेकिन यह कई पुरुषों के खातों में चली गई।
अहियारी गांव में तीन विकलांग पुरुषों सहित कई लोगों को यह पत्र मिला है।
- एक व्यक्ति ऐसा है जिसके परिवार की कोई महिला जीविका से नहीं जुड़ी है, फिर भी उसके खाते में पैसा आया।
- एक परिवार में पति और पत्नी दोनों के खाते में ₹10-10 हजार की राशि आ गई।
- एक व्यक्ति के खाते में पैसा आने के बाद उसकी पत्नी जीविका से जुड़ी, लेकिन पत्नी के खाते में कोई पैसा नहीं आया।
पैसे खर्च कर चुके पुरुषों ने लगाई माफी की गुहार
पत्र मिलने के बाद पुरुष लाभार्थियों में परेशानी बढ़ गई है। उनका कहना है कि यह राशि चुनाव के समय आई थी, जिसे उन्होंने योजना का लाभ या सरकार का 'गिफ्ट' समझकर खर्च कर दिया है। ज्यादातर पुरुष लाभार्थियों का कहना है, "हमलोगों ने ना ही फॉर्म भरा था और ना ही पैसा मांगा था, पैसा आया तो हमलोग खर्चा कर लिया, अब कहा से दें? हमारी माली स्थिति अब पैसे लौटाने लायक नहीं है। सरकार को इस राशि को माफ करना चाहिए।"
कुछ पुरुषों ने लिंग भेद पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "सरकार को महिला और पुरुषों के बीच फर्क नहीं करना चाहिए, दोनों को सामान तरीके से देखना चाहिए।"
"विकलांगों के साथ अन्याय"
इस मामले में पंचायत समिति के सदस्य ललन पासवान ने कड़ा गुस्सा व्यक्त किया है। उन्होंने खासकर विकलांग लोगों के खातों में राशि भेजने और फिर वापस मांगने को अन्याय बताया है। ललन पासवान ने कहा, "ये विकलांग लोगों के साथ अन्याय हैं। इस पैसे को सरकार को माफ करना होगा, नहीं तो हमलोग विरोध करेंगे।"
(रिपोर्ट- जितेंद्र कुमार)
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