Thursday, April 25, 2024
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श्रद्धा मर्डर केस: आफताब का आज होगा पॉलीग्राफ टेस्ट, कल जज के सामने कबूला था जुर्म

प्री-पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान कल आफताब से 15 से 20 सवाल पूछे गए थे। इससे पहले आफताब का ब्लड प्रेशर और ब्लड टेस्ट भी हुआ। साकेत कोट ने कल आफताब की पुलिस रिमांड चार दिन के लिए और बढ़ा दी थी।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: November 23, 2022 7:23 IST
श्रद्धा मर्डर केस- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO श्रद्धा मर्डर केस

Shraddha Murder Case: दिल्ली के सनसनीखेज श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब का आज बुधवार को पॉलीग्राफी टेस्ट हो सकता है। कल मंगलवार को प्री-पॉलीग्राफ टेस्ट किया गया, जिसमें करीब साढ़े तीन घंटे तक पूछताछ की गई। जानकारी के मुताबिक, इस दौरान आफताब से 15 से 20 सवाल पूछे गए। इससे पहले आफताब का ब्लड प्रेशर और ब्लड टेस्ट भी हुआ। मेडिकल कंडीशनिंग के बाद आज पॉलिग्राफी टेस्ट होगा। चार दिन के भीतर नार्को टेस्ट करना है। वहीं, साकेत कोर्ट ने कल आफताब की पुलिस रिमांड चार दिन के लिए और बढ़ा दी थी।

परिवार से मिलने की इजाजत मांगी

आफताब को कल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया था। इस दौरान जज के सामने आफताब ने अपना जुर्म कबूला। उसने कहा कि जो हुआ वह गुस्से में किया। आफताब ने कहा कि काफी महीने बीत जाने कारण उसे ज्यादा कुछ याद नहीं है, वह सबकुछ एक बार में याद नहीं कर सकता, लेकिन जैसे-जैसे उसे याद आता जाएगा, वह पुलिस को बता देगा। इस बीच, आफताब ने कल कोर्ट से अपने परिवार से मिलने की इजाजत मांगी। कोर्ट ने इसकी अनुमति दे दी। जानकारी के मुताबिक, आफताब जांच अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में आने पर अपने परिवार से मिल सकेगा। 

पॉलीग्राफ टेस्ट कैसे होता है?

पॉलीग्राफ टेस्ट को लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जात है। इससे ये पता लगाया जा सकता है कि कोई इंसान सच बोल रहा है या नहीं। इसके लिए एक मशीन की मदद ली जाती है, जो पूछताछ के दौरान शरीर में आने वाले बदलाव जैसे ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट, पल्स रेट और शरीर से निकलने वाले पसीने या हाथ-पैर के मूवमेंट में बदलाव को नोट करती है। उसी रिपोर्ट के आधार पर यह तय होता है कि इंसान सच बोल रहा है या नहीं, क्योंकि जब कोई झूठ बोलता है, तो उसके शरीर में एक डर और घबराहट पैदा होती है।

क्या है नार्को टेस्ट की प्रक्रिया?

नार्को टेस्ट में इंसान के शरीर में इंजेक्शन देकर उसे आधी बेहोशी की हालत में पहुंचाया जाता है और ऐसी हालत में उससे जो पूछा जाता है, वो उसका सही जवाब देता है। यानी झूठ बोलने के लिए उसका दिमाग एक्टिव नहीं रह पाता। इस हालात में अगर शख्स से सवाल पूछने वाला सही तरीके से सवाल पूछे, तो वो सही जवाब भी दे सकता है। इस टेस्ट के दौरान साइकोलॉजिस्ट के साथ जांच अधिकारी या फोरेंसिक एक्सपर्ट भी बैठते हैं। नोर्को टेस्ट में इंसान की बॉडी में सोडियम पेंटोथाल नामक ड्रग लिमिट मात्री में दिया जाता है।

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