Thursday, May 02, 2024
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इस राज्य में पेपर लीक पर अब उम्रकैद और 10 करोड़ तक जुर्माना, नए कानून को राज्यपाल ने दी मंजूरी

इस विधेयक को लेकर विधानसभा में जबर्दस्त हंगामा हुआ था। विपक्ष के विधायकों ने इसकी प्रतियां फाड़ दी थीं और भाजपा ने इसे काला कानून की संज्ञा दी थी। विपक्ष के विधायकों के बहिष्कार के बीच यह विधेयक पारित किया गया था।

Khushbu Rawal Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: November 30, 2023 13:00 IST
परीक्षा में नकल करने...- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO परीक्षा में नकल करने और कराने वालों की अब खैर नहीं

झारखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक और नकल रोकने के लिए सख्त कानून लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने विधानसभा से बीते अगस्त महीने में पारित विधेयक को मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी होते ही यह कानून का रूप ले लेगा। इस कानून में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करने पर कम से कम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा से लेकर 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने जैसे सख्त प्रावधान हैं।

बिल की अहम बातें-

  1. इस कानून का नाम झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम निवारण के उपाय) अधिनियम, 2023 होगा। इसमें प्रावधान किया गया है कि प्रतियोगी परीक्षा में कोई अभ्यर्थी पहली बार नकल करते हुए पकड़ा जाता है तो उसे एक वर्ष की जेल होगी और पांच लाख रुपये का जुर्माना लगेगा।
  2. दूसरी बार पकड़े जाने पर तीन साल की सजा एवं 10 लाख जुर्माना का प्रावधान है। न्यायालय द्वारा सजा होने पर संबंधित अभ्यर्थी 10 वर्षों तक किसी प्रतियोगी परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो सकेंगे।
  3. पेपर लीक और नकल से जुड़े मामलों में बगैर प्रारंभिक जांच के FIR और गिरफ्तारी का भी प्रावधान किया गया है। पेपर लीक और किसी प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में भ्रामक जानकारी प्रचारित-प्रसारित करने वाले भी इस कानून के दायरे में आएंगे। यह कानून राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य कर्मचारी चयन आयोग, भर्ती एजेंसियों, निगमों और निकायों द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षाओं में लागू होगा।
  4. पेपर लीक से जुड़े मामलों को लेकर इस कानून में सबसे सख्त प्रावधान किए गए हैं। इसमें परीक्षाओं के संचालन से जुड़े व्यक्ति, एजेंसियां, प्रिंटिंग प्रेस एवं षड्यंत्र में शामिल लोग दायरे में आएंगे।
  5. अगर कोई प्रिंटिंग प्रेस, परीक्षा आयोजित करने वाला प्रबंधन तंत्र, परिवहन से जुड़ा व्यक्ति या कोई कोचिंग संस्थान साजिशकर्ता की भूमिका निभाता है तो 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसमें 2 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। जुर्माना न देने पर तीन साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

बता दें कि इस विधेयक को लेकर विधानसभा में जबर्दस्त हंगामा हुआ था। विपक्ष के विधायकों ने इसकी प्रतियां फाड़ दी थीं और भाजपा ने इसे काला कानून की संज्ञा दी थी। विपक्ष के विधायकों के बहिष्कार के बीच यह विधेयक पारित किया गया था।

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