कन्नड़ सिनेमा की सबसे चर्चित फिल्मों में शुमार KGF ने जब हिंदी समेत कई भाषाओं में रिलीज होकर दुनियाभर में पहचान बनाई, तब इसके साथ जुड़े हर कलाकार और टेक्नीशियन का नाम भी सुर्खियों में आया। 'KGF: चैप्टर 1' और 'KGF: चैप्टर 2' की जबरदस्त सफलता ने भारतीय सिनेमा को एक नया मुकाम दिया। खासतौर पर दूसरे भाग की रिलीज के बाद फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई की और पूरी दुनिया में इसका डंका बजा, लेकिन अब इसी फिल्म से जुड़े एक अहम सदस्य के परिवार पर ऐसा दुख टूटा है, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। 'KGF: चैप्टर 2' के को-डायरेक्टर कीर्तन नाडगौड़ा के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
कैसे हुई बेटे की मौत?
यह दुखद हादसा 17 दिसंबर को हुआ, जब उनके साढ़े चार साल के बेटे सोनारश नाडगौड़ा की एक दर्दनाक दुर्घटना में मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह हादसा लिफ्ट से जुड़ा हुआ था और इतना अचानक हुआ कि परिवार को बच्चे को बचाने का कोई मौका तक नहीं मिला। कन्नड़ प्रभा की रिपोर्ट के अनुसार मासूम सोनारश लिफ्ट में फंस गया, जिसके कारण उसकी जान चली गई। परिवार के करीबी लोगों का कहना है कि यह घटना इतनी भयावह और अप्रत्याशित थी कि अब भी उस पर विश्वास करना मुश्किल है। सोनारश को परिवार और जानने वाले एक बेहद प्यारा, चंचल और उत्साही बच्चा बताते हैं, जिसकी मुस्कान पूरे घर को रोशन कर देती थी। उसके अचानक चले जाने से नाडगौड़ा परिवार पर गहरा सदमा छा गया है और उनके जीवन में एक ऐसा खालीपन आ गया है, जिसे भर पाना नामुमकिन है।
पवन कल्याण ने जाहिर किया दुख
इस दुखद खबर के सामने आते ही कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ पूरी साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई। कई कलाकारों, तकनीशियनों और फिल्म जगत से जुड़े लोगों ने सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं और शोक संतप्त परिवार को ढांढस बंधाने की कोशिश की। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और अभिनेता पवन कल्याण ने भी इस घटना पर गहरा दुख जताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर कीर्तन नाडगौड़ा और उनकी पत्नी समृद्धि पटेल के लिए संवेदना व्यक्त करते हुए प्रार्थना की कि ईश्वर उन्हें इस अपार दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे।
कीर्तन का सफर
अगर कीर्तन नाडगौड़ा के करियर की बात करें तो वे पिछले कई वर्षों से कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री का अहम हिस्सा रहे हैं। उन्होंने KGF जैसी ऐतिहासिक फिल्मों को को-डायरेक्ट किया और इसके अलावा भी कई प्रोजेक्ट्स के प्रोडक्शन से जुड़े रहे हैं। KGF को कन्नड़ के साथ-साथ हिंदी और अन्य दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी जबरदस्त सफलता मिली थी। आज उनकी पेशेवर उपलब्धियों के बीच यह व्यक्तिगत त्रासदी हर किसी को यह याद दिला रही है कि सफलता के शिखर पर खड़े लोगों की जिंदगी भी कभी-कभी बेहद कठोर इम्तिहान से गुजरती है।
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