बॉलीवुड अभिनेता विजय राज ने अपने अभिनय करियर में कई शानदार फिल्मों में काम किया और अपने अभिनय से दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे। कई एक्टर जो कमाल लीड रोल निभाकर भी नहीं दिखा पाते, विजय राज ने साइड रोल निभाकर कर दिखाया। 'कौआ बिरियानी' सुनते ही उनका चेहरा अपने आप सामने आ जाता है। 'रन' में साइड रोल निभाकर भी विजय राज लीड हीरो पर भारी पड़ गए थे। अब विजय राज ने अपने यंग डेज को याद किया और बताया कि उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा था जब वह इस कदर आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे कि खाने तक के लाले थे। इस दौरान उन्होंने खर्चे चलाने के लिए साड़ी की दुकान तक पर काम किया।
1999 में किया था डेब्यू
विजय राज को फिल्म इंडस्ट्री में 25 साल से ज्यादा हो चुके हैं। उन्होंने 1999 में 'भोपाल एक्सप्रेस' से डेब्यू किया था और फिर अपने करियर में मानसून वेडिंग, रन और धमाल जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से लाइमलाइट बटोरने में सफल रहे। अब विजय राज एमएक्स प्लेयर की सीरीज 'जमनापार' सीजन 2 में नजर आएंगे, जिसके प्रमोशन के दौरान विजय राज ने अपने करियर पर खुलकर बात की और अपने संघर्ष के दिनों से जुड़े किस्से भी साझा किए।
करोल बाग में बेची साड़ी
विजय राज ने 'स्क्रीन' के साथ बातचीत में खुलासा किया कि उनके पिता चाहते थे कि वह सरकारी नौकरी करें, लेकिन उनका सपना कुछ और ही था। घर के खर्चों में हाथ बटाने के लिए वह बचपन से ही छोटे-मोटे काम करते रहते थे। इसी दौरान उन्होंने करोल बाग में साड़ी की दुकान पर भी काम किया। उन्होंने बताया कि वह तब 19 साल के थे, जब उन्हें पहली बार थिएटर के बारे में पता चला।
पिता चाहते थे सरकारी नौकरी करें विजय राज
विजय राज ने कहा- 'मुझे एक्टिंग प्रोफेशन की कोई जानकारी नहीं थी और ना ही मैं इस प्रोफेशन में आना चाहता था। जिंदगी बस जैसे-तैसे चल रही थी, मैं एक अकाउंटेंट की नौकरी कर रहा था और साथ ही साथ ईवनिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था। एक दिन मेरी मुलाकात कुछ ऐसे लोगों से हुई, जो थिएटर करते थे। मैंने पहली बार यहीं ये शब्द सुना और यहीं से मेरी भी एक्टिंग जर्नी शुरू हुई। पहले तो मेरे परिवार को लगा कि मैं व्यस्त हूं, तो वे खुश थे। लेकिन, जब उन्हें ये पता चला कि मैं हमेशा यही काम करना चाहता हूं तो मेरे लिए ये एक समस्या बन गई। उन दिनों सिर्फ सरकारी नौकरी को ही सम्मानजनक माना जाता था, फिर वो चपरासी की ही नौकरी क्यों ना हो। मेरे पिता भी यही चाहते थे।'
2 बार हुए फेल
थिएटर को लेकर अपने जुनून के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा- 'मैं तब बीकॉम के दूसरे साल में था, जब मैंने थिएटर शुरू किया और फिर ये मेरे लिए जुनून बन गया। मेरी पढ़ाई में रुचि खत्म हो गई। तब मैं बीकॉम के आखिरी साल में था और इकोनॉमिक्स का पेपर था। मैं थिएटर की दुनिया में ऐसा खोया कि मैं पेपर में बैठा था और कॉपी में कुछ भी लिख ही नहीं पाया। मुझे टीचर ने आधे घंटे में कॉपी लेने को कहा, तो मैंने उसमें बस अपना नाम लिख दिया। मुझे लगा कि वह मेरी ईमानदारी से खुश होंगे, लेकिन मैं फेल हो गया। मैं पहले ही एक बार फेल हो चुका था, इसलिए दो पेपर साथ दे रहा था।' इसी दौरान उन्होंने बताया कि उन्होंने 15 साल की उम्र से काम करना शुरू कर दिया था औ उनकी आखिरी नौकरी करोल बाग में एक साड़ी की दुकान पर थी। विजय राज उस दुकान में पार्ट-टाइम नौकरी करते थे।
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