Thursday, May 09, 2024
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Explainer: कार्यकाल पूरा होने के 3 दिन पहले पाकिस्तान की संसद भंग, जानिए इसके पीछे क्या थी शहबाज की मंशा?

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के निर्धारित कार्यकाल पूरा होने से सिर्फ 3 दिन पहले ही संसद भंग कर दी गई। ऐसा करके शहबाज शरीफ ने बड़ा 'खेल' खेला है। सिर्फ तीन दिन पहले संसद भंग करवाकर जानिए क्या 'एडवांटेज' शहबाज सरकार को मिल जाएगा। इमरान खान की कौनसी मंशा पर शहबाज सरकार लगा रही है कुठाराघात, पढ़िए पूरी खबर।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: August 10, 2023 7:52 IST
कार्यकाल पूरा होने के 3 दिन पहले पाकिस्तान की संसद भंग- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV कार्यकाल पूरा होने के 3 दिन पहले पाकिस्तान की संसद भंग

akistan News: पाकिस्तान की संसद यानी नेशनल असेंबली आखिरकार भंग हो गई। पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से तीन दिन पहले ही संसद को भंग कर दिया गया। इसके लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को सिफारिश की थी, जिसे बुधवार देर रात मंजूर कर लिया गया। इसके साथ ही वर्तमान शहबाज शरीफ सरकार का कार्यकाल खत्म हुआ। अब नए सिरे से चुनाव होंगे और तब तक कार्यवाहक सरकार पाकिस्तान को चलाएगी। बड़ा सवाल यह है कि जब पाकिस्तान सरकार का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने में सिर्फ तीन दिन ही बचे थे, फिर भी तीन पूरा कार्यकाल न करके पहले ही क्यों संसद को भंग करवाया गया? जानिए इसके पीछे शहबाज सरकार की क्या मंशा थी?

पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अनुशंसा पर पाकिस्तान की संसद को भंग कर दिया। बुधवार रात बिना देरी के राष्ट्रपति ने नेशनल असेंबली भंग कर दी। इस संबंध में राष्ट्रपति कार्यालय ने सोशल मीडिया पर य​ह घोषणा की कि पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 58 के तहत प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सिफारिश पर नेशनल असेंबली भंग की गई है। संसदीय कार्य मंत्री मुर्तजा जावेद अब्बासी ने भी एक बयान में कहा कि निर्वाचित सरकार ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है और सिफारिश के बाद संसद भंग कर दी गई।

तीन दिन पहले ही क्यों भंग की गई पाकिस्तान संसद?

संसद भंग होते ही मौजूदा सरकार का कार्यकाल भी समय से तीन दिन पहले खत्म हो गया। ऐसा करने के पीछे शहबाज सरकार की मंशा चुनाव को टालना थी। पाकिस्तान में संसद भंग किए जाने और चुनाव होने से जुड़े जो नियम है, उसका फायदा उठाया गया। दरअसल पाकिस्तान में संसद भंग होते ही नियमानुसार चुनाव होने होते हैं, उसके बीच की अवधि भी निर्धारित होती है, लेकिन कार्यकाल पूरा करने से पहले यदि संसद भंग हो जाती है तो चुनाव कराने की अवधि ज्यादा मिलती है। पाकिस्तान की शहबाज सरकार जितना ज्यादा हो सके, चुनाव को टालना चाहती है।

शहबाज के​ दांव से चुनाव के लिए दो की बजाय अब मिलेगा 3 महीने का समय

शहबाज सरकार ने कार्यकाल पूरा होने से सिर्फ तीन दिन पहले जो संसद भंग करवाई, उससे चुनाव कराने की अवधि में और ज्यादा समय मिल जाएगा। तकनीकी आधार पर अब पाकिस्तान में चुनाव कराने की समय सीमा दो महीने से बढ़कर तीन महीने हो जाएगी। दरअसल पाकिस्तान के चुनाव संविधान में नियम है कि यदि नेशनल असेंबली अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा करती है तो चुनाव आयोग को दो महीने के अंदर देश में नए चुनाव कराने होंगे। यदि संसद अपना कार्यकाल पूरा हुए बिना भंग कर दी जाती है तो आयोग के सामने 90 दिन यानी दो महीने की बजाय तीन महीने में चुनाव कराने की बाध्यता होती है। 

30 अतिरिक्त दिन मिलेंगे चुनाव आयोग को

इस तरह उसे 30 अतिरिक्त दिन और मिल जाते हैं। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कार्यकाल पूरा होने से तीन दिन पहले ही संसद भंग हो गई। अब चुनाव आयोग को चुनाव कराने के लिए 90 दिन मिल जाएंगे। राष्ट्रपति अल्वी चूंकि इमरान के करीबी हैं इसलिए शरीफ सरकार को संदेह था कि वह समय से पहले नेशनल असेंबली भंग करने का सरकार का प्रस्ताव नहीं मांगेंगे। इसलिए उसने यह चाल चली।

क्या मार्च तक चुनाव टालने के मूड में है शहबाज शरीफ? जानिए क्या चला दांव

शहबाज शरीफ ज्यादा से ज्यादा लंबे समय तक चुनाव टालना चाहते हैं, ताकि वे विपक्षी दल इमरान की पार्टी को ज्यादा से ज्यादा कमजोर कर सकें। पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने मंगलवार को कहा था कि देश में आम चुनाव अगले वर्ष मार्च तक टल सकते हैं। वैसे तय कार्यक्रम के हिसाब से पाकिस्तान में नवंबर में आम चुनाव होने हैं, लेकिन राणा सनाउल्लाह ने चुनाव को अगले साल मार्च के महीने तक टालने की बात कही। इसके पीछे एक नया पासा फेंका। उन्होंने बताया कि वैसे तो चुनाव नवंबर के महीने में होना है, लेकिन  साझा हित समिति यानी सीसीआई ने नई जनगणना का ऐलान किया है। चुनाव आयोग को नई जनगणना पर आधारित परिसीमन के मुताबिक चुनाव कराने हैं, लिहाजा चुनाव मार्च तक टल सकते हैं। यानी कि जनगणना का पेंच फंसाकर शहबाज शरीफ अब चुनाव को मार्च तक टालने के मूड में है। 

इमरान की पार्टी जल्दी चुनाव के​ पक्ष में

पाकिस्तान के पूर्व पीएम और पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान की पार्टी जब से सत्ता से बेदखल हुई है, वह जल्द से जल्द चुनाव करवाना चाहती है। इमरान खान की जितनी लोकप्रियता देश की आवाम के बीच है, उसे भुनाने के लिए इमरान खान भी हमेशा जल्दी चुनाव कराने को लेकर लड़ते रहे हैं। उनकी रैलियों में और उनके समर्थन में जिस तरह से आवाम का साथ ​मिला, उससे उनकी चुनाव कराने की इच्छा और मजबूत हो गई। वहीं सत्तासीन शहबाज सरकार ​चाहती थी कि चुनाव को जितना ज्यादा से ज्यादा टाला जाए, उतना अच्छा होगा। तब तक इमरान सरकार की बढ़ती लोक​प्रियता को किसी भी तरह कम किए जाने का मौका मिल सकेगा। इमरान खान पर यही कारण है कि इतने केस लगाए गए कि वे उसमें उलझ गए और इस वक्त जेल में हैं। 

इमरान जेल में बंद, उनकी पार्टी को कमजोर करने में ताकत लगाएंगे शहबाज

तोशखाना मामले में दोषी करार दिए गए इमरान खान को चुनाव आयोग ने पांच साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया है। इससे पहले इमरान खान को गिरफ्तार करने के बाद काफी कड़ी सुरक्षा वाली अटक जेल भेजा गया था। इमरान खान को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में इस्लामाबाद की एक निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के तुरंत बाद शनिवार को लाहौर में उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। शहबाज शरीफ चाहते हैं कि इमरान को जेल में बंद रखकर आम जनता में उनकी छवि को धूमिल किया जाए और उनके 'स्टारडम' को धुंधला किया जाए। वहीं इमरान के जेल में अंदर रहने पर बाहर उनकी पार्टी को और कमजोर किया जा सके, इसी जुगत में शहबाज और उनकी पार्टी काम कर रही है। 

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